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साइक्‍लोन बिपरजॉय के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित चलाने के लिए रेलवे ने की ये तैयारी

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रेलवे ने बिपरजॉय साइक्लोन के समय ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए मंत्रालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया है. इस साइक्लोन का सबसे ज्यादा असर वेस्टर्न रेलवे जोन में पड़ने की संभावना है, इसलिए इस ज़ोन के सभी डिवीजनों में भी इसी तरह का कंट्रोल रूम स्‍थापित कर किया गया है, जिसकी मदद से मंत्रालय से लेकर डिवीजन तक के अधिकारी साइक्लोन के समय हालातों पर नज़र रखेंगे और जरूरत के अनुसार हर सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध कराएंगे.

ईस्‍ट सेंटर अरेबियन सी से 15 जून को आने वाले बिपरजॉय साइक्लोन का सबसे अधिक असर वेस्टर्न रेलवे के सौराष्ट्र और कच्छ एरिया में पड़ने की आशंका है. इस एरिया के तहत आने वाले क्षेत्र भावनगर, महुआ, वेरावल, पोरबंदर, ओखा से हापा और ग़ांधीधाम प्रमुख हैं, इन इलाकों पर ट्रेनों को सुरक्षित चलाने के लिए रेलवे ने पूरी तैयारी कर ली है.

डायरेक्टर (इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी), रेल मंत्रालय शिवाजी सुतार ने बताया कि रेलवे ने साइक्‍लोन के मद्देनजर पुख्‍ता इंतजार कर लिए हैं, जिससे साइक्‍लोन का असर कम से कम पड़े. उन्‍होंने बताया कि हवा की स्पीड को मॉनिटर करने के लिए यंत्र लगाए गए हैं, जिसके अनुसार संबंधित इलाकों में ट्रेनों का संचालन किया जाएगा. इसके साथ, ही डॉक्टरों की टीम गठित की गई है जो पूरी सुविधाओं से लैस रहेंगी और आपात स्थितियों निपटेंगी.

उन्‍होंने बताया कि साइक्लोन के दौरान अगर बिजली गुुल हो जाता है तो वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में डीजल इंजन भी तैयार रखे जाएंगे और उस दौरान ट्रेन को डीजल इंजनों के सहारे सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जाएगा. आपात स्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए रिलीफ ट्रेन भी तैयार रहेंगी. साथ ही, संबंधित रूटों पर चलने वाली ट्रेनों के लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट की काउंसलिंग कराई जा रही है और उनको जरूरी प्रोटोकॉल समझाया जा रहा है. साइक्लोन के समय ट्रैक और ब्रिज को लगातार मॉनिटर किया जाएगा. लोको पायलटों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हवा की स्‍पीड 50 किमी. प्रति घंटे अधिक होने पर ट्रेनें रोक दें.

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