डॉ दीपक शर्मा एवं डॉ सत्यपाल सिंह
अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग,
इंदिरा गॉधी कृषि विश्वविद्यालय,
कृषकों द्वारा उपयोग करने के बाद बीजों का भंडारण करना सदियों से चलन में हैं। परंपरागत रूप से किसानों ने बीज भंडारण के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके अपनाए हैं, जो अगली बुवाई तक बीजों के दीर्घायु को अच्छी तरह से बनाए रख सकते हैं। इन भंडारण तकनीकों को उन्नत बनाने के लिए एवं बीजों को अधिक समय तक उपयोगी बनाने हेतु इंदिरा गॉधी कृषि विश्वविद्यालय ने जीरो उर्जा वाला सामुदायिक बीज बैंक की परिकल्पना प्रस्तुत किया हैं। इसमें तकनीकी अन्तराष्ट्रीय संस्थान बायोवर्सिटी इंटरनेशनल द्वारा प्रदत्त किया गया हैं।
1. छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम समुदायिक बीज बैंक की स्थापना सन् 2013 में टहकापाल, जगदलपुर, बस्तर में स्थापित किया गया था, जो भारत में इस प्रकार का पहला सामुदायिक बीज बैंक बनाया गया था।
2. सरगुजा जिलें में बतौली ब्लाक केे सलिर्यािडह ग्राम में जीरो एनर्जी सामुदायिक बीज बैंक सन 2020 में स्थापित किया गया। इस बीज बैंक में कुल 6 फसलों (धान, उर्द, अरहर, लघु धान्य फसले, सरसो, चना) की 118 पारम्परिक किस्मों का संरक्षण किया जा रहा हैं।
3. कोरिया जिले में सोनहत ब्लाक के घुघरा ग्राम में जीरो एनर्जी सामुदायिक बीज बैंक स्थापित इस वर्ष कर दिया गया है। इस बीज बैंक में कुल 4 फसलों (धान, उर्द, अरहर, लघु धान्य फसले) की 144 पारम्परिक किस्मों का संरक्षण किया जा रहा हैं।
4. इस प्रकार के बीज बैंक की आवश्यकता को देखते हुए कांकेर जिले कें गोटुलमुण्डा ग्राम में एवं धमतरी जिले के केकराखोली ग्राम में सामुदायिक बीज बैंक की स्थापना किया जाना सुनिश्चित हैं।
इस तकनीकी में जियोलाइट बीड्स का उपयोग हवा मुक्त बाक्स में बीज सुखाने के लिए किया जाता हैं एवं इन जियोलाइट बीड्स को दोबारा इलेक्ट्रिक ओवन में रिचार्ज भी किया जा सकता हैं। ये बीड्स मटर के बीज आकार के होते हैं जो बीज में नमी की मात्रा को अवशोषित कर लेते हैं। जीरो एनर्जी का तात्पर्य यह हैं कि बीजों के संरक्षण में सौर उर्जा का उपयोग करके जियोलाइट बीड्स को सोलर ओवन में रिजनरेट किया जाता हैैं।
जियोलाइड बीड्स के साथ बीज भण्डारण
प्रथम सामुदायिक बीज बैंक की स्थापना सन् 2013 में टहकापाल, जगदलपुर, बस्तर में बायोवर्सिटी इंटरनेशनल रोम के डायरेक्टर जनरल टुटवाइलर द्वारा किया गया था।