Home छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ सरकार की तेरह साल की उपलब्धियां।

छत्तीसगढ़ सरकार की तेरह साल की उपलब्धियां।

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  •  किसानों को खेती के लिए सहकारी समितियों में ब्याज मुक्त ऋण सुविधा।
  •     कृषक जीवन ज्योति योजना के तहत तीन हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए 6000 यूनिट और तीन से पांच हार्स पावर तक सिंचाई पम्पों के लिए 7500 यूनिट बिजली हर साल निःशुल्क।
  •     समर्थन मूल्य नीति के तहत धान खरीदी की कम्प्यूटरीकृत पारदर्शी व्यवस्था।
  •     सिंचाई पम्पों के विद्युतीकरण के लिए लाईन विस्तार पर प्रति पम्प किसानों को 75 हजार रूपए का अनुदान। इससे ज्यादा राशि की जरूरत होने पर ऐसे पम्पों को असाध्य मानकर सरगुजा एवं बस्तर आदिवासी विकास प्राधिकरण, अनुसूचित जाति विकास प्राधिकरण और ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण से अतिरिक्त राशि देने का प्रावधान।
  •     राज्य में वर्ष 2003 में विद्युतीकृत सिंचाई पम्पों की संख्या लगभग 94 हजार थी, जो वर्ष 2015-16 में बढ़कर लगभग तीन लाख 70 हजार तक पहुंच गई है।
  •     प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मंे छत्तीसगढ़ के 13 लाख 66 हजार 302 किसान शामिल । यह बीमा चालू खरीफ मौसम 2016 के लिए है। इनमें बारह लाख नौ हजार 357 ऋणी तथा एक लाख 56 हजार 945 अऋणी किसान सम्मिलित
  •     रायपुर जिले के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र 12 सितम्बर 2016 से प्रारंभ। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में हुआ इसका शुभारंभ। इसे मिलाकर राज्य में कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्या 20 तक पहुंच गई। कृषि विश्वविद्यालय परिसर में 12 सितम्बर 2016 को ही देश के सबसे बड़े कृषि संग्रहालय की भी स्थापना।
  •     राज्य के 32 लाख से ज्यादा किसानों को उनके खेतों की मिट्टी की सेहत जांच के साथ-साथ स्वायल हेल्थ कार्ड देने का कार्य प्रगति पर।
  •     प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर छह वर्षों में (वर्ष 2022 तक) किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने बनाया रोडमेप। इसमें कृषि के साथ-साथ बाजार व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, कृषि वानिकी और लघु वनोपजों के उत्पादन, रेशम की खेती, उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, दूध उत्पादन और मछलीपालन को बढ़ावा देने के लिए सम्बद्ध विभागों की अलग-अलग कार्य योजनाएं शामिल।
  •     छत्तीसगढ़ को कृषि उत्पादन के क्षेत्र में केन्द्र सरकार से चार राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार। इनमें से तीन पुरस्कार धान (चावल) के लिए और एक पुरस्कार दलहन उत्पादन के क्षेत्र में प्राप्त हुआ।

सहकारिता

  •     राज्य की 1333 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के अंतर्गत 1989 उपार्जन केन्द्रों में समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी सर्वोत्तम व्यवस्था। इन सहकारी समितियों के 21 लाख 63 हजार सदस्य किसानों को क्रेडिट कार्ड जारी। उन्हें खेती के लिए क्रेडिट कार्ड जरिए शून्य ब्याज दर पर ऋण सुविधा। धान उपार्जन के सभी केन्द्रों का हुआ कम्प्यूटरीकरण। पिछले खरीफ विपणन वर्ष 2015-16 में इन सहकारी समितियों में किसानों से 59 लाख 29 हजार मीटरिक टन धान खरीदा गया और उन्हें इसके लिए आठ हजार 430 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया।
  •     कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के नीति के तहत सहकारिता के क्षेत्र में राज्य में तीन शक्कर कारखाने क्रमशः भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना ग्राम राम्हेपुर (जिला कबीरधाम), दंतेश्वरी मईया सहकारी शक्कर कारखाना ग्राम करकाभाठ (जिला बालोद) और मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना ग्राम केरता (जिला सूरजपुर) में संचालित। सहकारिता के क्षेत्र में प्रदेश के चौथे शक्कर कारखाने का निर्माण कबीरधाम जिले के पंडरिया क्षेत्र में 165 करोड़ रूपए की लागत से तेजी से पूर्णता की ओर। इस नये शक्कर कारखाने का नामकरण लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम पर किया गया है। वर्तमान में संचालित तीनों सहकारी शक्कर कारखानों में पेराई सीजन वर्ष 2015-16 में कुल छह लाख 08 हजार 381 मीटरिक टन गन्ने की पेराई की गई और पांच लाख 73 हजार 511 मीटरिक टन शक्कर का उत्पादन किया गया।
  • ऽ    सहकारी समितियों में खाद भण्डारण की क्षमता बढ़ाने के लिए विगत 13 वर्ष में 700 गोदाम (भण्डार गृह) स्वीकृत किए गए। इनमें से 695 का निर्माण पूरा कर लिया गया।
  •     छत्तीसगढ़ में गौपालन और मछली पालन के लिए सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज पर ऋण सुविधा। पिछले साल किसानों को मछली पालन के लिए 22 लाख 61 हजार रूपए और गौपालन के लिए चार करोड़ रूपए का ऋण दिया गया।
  •     सहकारी समितियों में निष्पक्ष और सुव्यवस्थित चुनाव सम्पन्न कराने के लिए राज्य सहकारी निर्वाचन आयोग का गठन किया गया।

जल संसाधन

  •     वर्ष 2003-04 में सिंचाई का बजट लगभग 508 करोड़ रूपए था, जो इस वित्तीय वर्ष 2016-17 में बढ़कर 2532 करोड़ रूपए तक पहुंच गया। इस दौरान प्रदेश की कुल निर्मित सिंचाई क्षमता 14.53 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.51 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई। विगत बारह वर्ष में तीन वृहद सिंचाई परियोजनाओं-जोंक व्यपवर्तन, महानदी परियोजना समूह और हसदेव बांगो परियोजना तथा छह मध्यम सिंचाई परियोजनाएं-मांड व्यपवर्तन, सूतियापाठ जलाशय, अपर जोंक नहर परियोजना, खरखरा-मोहदीपाट नहर परियोजना, कोसारटेडा जलाशय और कर्रानाला बैराज तथा 455 लघु सिंचाई योजनाओं का निर्माण पूर्ण किया गया। अरपा नदी पर 606 करोड़ रूपए की लागत से अरपा भैंसाझार परियोजना का निर्माण प्रगति पर। बिलासपुर जिले के कोटा, बिल्हा और तखतपुर विकासखण्डों के 102 गांवों के किसानों को मिलेगा फायदा। लगभग 25 हजार हेक्टेयर में होगी सिंचाई। शिवनाथ नदी पर 228 करोड़ की लागत वाली मोहड़ जलाशय का निर्माण भी प्रगति पर। बालोद और राजनांदगांव जिलों के किसानों को मिलेगा फायदा। रायगढ़ जिले में 598 करोड़ की लागत से केलो वृहद सिंचाई जलाशय का निर्माण जारी। इस जलाशय से रायगढ़ और जांजगीर-चांपा जिलों के 175 गांवों के 23 हजार हेक्टेयर खेतों को सिंचाई सुविधा मिलेगी। मार्च 2016 तक दस हजार हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता निर्मित।

बिजली

  •     देश का पहला विद्युत कटौती मुक्त राज्य। वर्ष 2008 से लगातार जीरो पावर कट।
  •     एकल बत्ती योजना के तहत प्रदेश के 15.54 लाख बीपीएल परिवारों को हर महीने 40 यूनिट बिजली निःशुल्क। वर्ष 2003 में इनकी संख्या सिर्फ 6.90 लाख थीं।
  •     मुख्यमंत्री एल.ई.डी. लैम्प वितरण योजना-प्रत्येक बीपीएल बिजली उपभोक्ता को तीन एल.ई.डी. लैम्प निःशुल्क और एपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को अब सिर्फ 65 रूपए प्रति बल्ब की दर पर अधिकतम 10 एलईडी बल्ब दिए जा रहे हैं। एपीएल उपभोक्ताओं को पांच एलईडी बल्ब मासिक किश्तों में भी देने की सुविधा। योजना 13 मार्च 2016 से प्रारंभ। अब तक 11 जिलों में 19 लाख से ज्यादा एल.ई.डी. बल्ब वितरित।
  •     राज्य के 73 हजार 848 मजरा-टोलों में से 68 हजार 790 मजरा-टोलों में परम्परागत और गैरपरम्परागत पद्धति से पहुंचाई गई बिजली।
  • बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं के यथासंभव तुरंत निराकरण के लिए हेल्पलाईन नम्बर 1912 के साथ केन्द्रीकृत विद्युत कॉल सेंटर चौबीसों घण्टे संचालित।
  •     सौर सुजला योजना – राज्य सरकार की नई योजना। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2016 के शुभारंभ अवसर पर नया रायपुर में एक नवम्बर को इस योजना का शुभारंभ किया। योजना के तहत 31 मार्च 2019 तक छत्तीसगढ़ के 51 हजार किसानों को सौर ऊर्जा प्रणाली पर आधारित सिंचाई पम्प वितरित करने का लक्ष्य है। विद्युत विहीन खेतों में सौर सिंचाई पम्पों को प्राथमिकता दी जा रही है। ये सौर पम्प अत्यंत आकर्षक अनुदान पर दिए जा रहे हैं। योजना के तहत तीन लाख 50 हजार रूपए कीमत के तीन हार्सपावर वाले सोलर पम्प अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के किसानों को मात्र सात हजार रूपए, अन्य पिछड़े वर्ग के किसानों को सिर्फ 12 हजार रूपए और सामान्य वर्ग के किसानों को सिर्फ 18 हजार रूपए में दिए जा रहे हैं। इसी तरह पांच हार्सपावर के सोलर पम्प जिसकी कीमत चार लाख 50 हजार रूपए है, वह अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के किसानों को मात्र दस हजार रूपए में, अन्य पिछड़े वर्ग के किसानों को सिर्फ 15 हजार रूपए में और सामान्य वर्ग के किसानों को सिर्फ 20 हजार रूपए में देने का प्रावधान किया गया है। योजना का संचालन ऊर्जा विभाग के उपक्रम छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा) द्वारा किया जा रहा है। चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में 11 हजार किसानों को इसका लाभ

शिक्षा

  •    स्कूल शिक्षा – वर्ष 2003-04 की तुलना में राज्य में प्राथमिक स्कूलों की संख्या 13 हजार 852 से बढ़कर लगभग 37 हजार, उच्च प्राथमिक (मिडिल) स्कूलों की संख्या 5642 से बढ़कर 16 हजार 692, हाई स्कूलों की संख्या 908 से बढ़कर 2609 और हायर सेकेण्डरी स्कूलों की संख्या 680 से बढ़कर 3715 तक पहुंची।
  •     नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 60 पोटाकेबिनों के माध्यम से 30 हजार बच्चों को आवासीय शिक्षा सुविधा।
  •     मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना – नक्सल प्रभावित जिलों के बच्चों के लिए सभी पांच संभागीय मुख्यालयों -रायपुर, बिलासपुर,जगदलपुर, दुर्ग और अम्बिकापुर में प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित। इनमें ग्यारहवीं-बारहवीं तक पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को पीएमटी, पीईटी, जेईई जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग की सुविधा। इस वर्ष प्रयास विद्यालयों के 27 बच्चे जेईई में उत्तीर्ण होकर आईआईटी के लिए चयनित।
  •    स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर वर्ष 2015 से शिक्षा गुणवत्ता अभियान संचालित।
  •    प्रदेश में वर्ष 2003-04 में प्राथमिक स्तर पर बच्चों के द्वारा शाला छोड़ने की दर (ड्राप आउट रेट) 10.50 प्रतिशत थी, जो अब घटकर सिर्फ एक प्रतिशत रह गई है।
  •     उच्च शिक्षा -राज्य में वर्ष 2003 में सिर्फ तीन शासकीय विश्वविद्यालय थे। इनकी संख्या वर्ष 2015 तक बढ़कर आठ हो गई। इस अवधि में सरकारी कॉलेजों की संख्या 116 से बढ़कर 214 तक पहुंच गई। सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलाकर राज्य में वर्ष 2003 में 184 कॉलेज थे, जबकि आज इनकी संख्या 472 हो गई।
  •     अब राज्य के सभी 27 जिलों में युवाओं को पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा की सुविधा। इसके लिए 47 शासकीय कॉलेजों में विभिन्न विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम स्वीकृत।
  •  मुख्यमंत्री उच्च शिक्षा ऋण ब्याज अनुदान योजना-कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों के बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए सिर्फ एक प्रतिशत ब्याज पर अधिकतम चार लाख रूपए की ऋण सुविधा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के युवाओं को इस योजना के तहत ब्याज मुक्त ऋण। योजना दो लाख रूपए तक वार्षिक आमदनी वाले परिवारों के विद्यार्थियों के लिए संचालित।
  •     तकनीकी शिक्षा – नया रायपुर में अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आईटी) 23 जून 2015 से प्रारंभ। भिलाई नगर के लिए 07 अगस्त 2016 को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) भवन निर्माण होने तक रायपुर के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रारंभ।

चिकित्सा शिक्षा

  •     विगत दस वर्ष में चार नये मेडिकल कॉलेज। वर्ष 2006 में बस्तर (जगदलपुर), वर्ष 2013 में रायगढ़, वर्ष 2014 में राजनांदगांव और इस वर्ष तीन सितम्बर 2016 को सरगुजा (अम्बिकापुर) में शासकीय मेडिकल कॉलेज प्रारंभ। इन्हें मिलाकर छत्तीसगढ़ में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की संख्या छह तक पहुंची। राज्य की चारों दिशाओं में मेडिकल कॉलेज खोलने का मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का सपना हुआ साकार।

बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं

  •     गर्भवती माताओं को घर से अस्पताल और अस्पताल से घर तक पहुंचाने के लिए टोल फ्री नम्बर 102 पर आधारित महतारी एक्सप्रेस की सुविधा। एक वर्ष तक के बच्चों को भी इलाज के लिए यह सुविधा निःशुल्क। योजना 23 अगस्त 2013 से प्रारंभ। अब तक लगभग 16 लाख से ज्यादा माताओं और बच्चों को मिली यह सुविधा। प्रदेश भर में 300 महतारी एक्सप्रेस वाहन संचालित।
  •     आकस्मिक दुर्घटना और गंभीर बीमारी के दौरान पीड़ितों को तत्काल मदद पहुंचाने टोल फ्री नम्बर 108 पर आधारित संजीवनी एक्सप्रेस सेवा वर्ष 2011 से प्रारंभ। इसके अंतर्गत राज्य में 240 संजीवनी वाहनों का संचालन। इन वाहनों के जरिए अब तक 12 लाख 75 हजार लोगों को मिली आपातकालीन चिकित्सा सहायता। निःशुल्क स्वास्थ्य परामर्श के लिए टोल फ्री नम्बर 104 पर आधारित आरोग्य परामर्श सेवा।
  •     राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में 40 लाख से ज्यादा परिवार शामिल। प्रत्येक परिवार को 30 हजार रूपए तक निःशुल्क इलाज की सुविधा। सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को अब 60 रूपए से बढ़ाकर 100 रूपए का भोजन निःशुल्क।
  •    जेनेरिक दवाईयों के लिए राज्य में 108 जन औषधि केन्द्र संचालित। अगस्त 2014 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चिरायु योजना प्रारंभ। योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में अब तक 97 लाख से ज्यादा बच्चों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और इनमें से आवश्यकता अनुसार 16 लाख से ज्यादा बच्चों का निःशुल्क इलाज।
  •     मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना वर्ष 2008 से संचालित। हृदय रोग पीड़ित बच्चों का इलाज सरकारी खर्च पर करने का प्रावधान। योजना के तहत राज्य के मान्यता प्राप्त अस्पतालों में 6147 बच्चों को मिला नया जीवन।
  • ऽ    छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर वर्ष 2003 में प्रति एक हजार जीवित जन्म पर 70 थी, जो वर्ष 2014 की स्थिति में घटकर 43 हो गई है। इस दौरान प्रति एक लाख जीवित जन्म पर मातृ मृत्यु दर 379 से घटकर 221 हो गई है। सम्पूर्ण टीकाकरण की दर 56.9 से बढ़कर 74.9 तक पहंुच गई है।विगत तेरह वर्ष में कुष्ठ रोग की प्रभाव दर प्रति दस हजार की जनसंख्या पर 7.2 से घटकर 3.61 हो गई है। मलेरिया की वार्षिक प्रभाव दर में भी कमी आई है, जो इस अवधि में 8.28 से घटकर 3.66 हो गई है। विगत तेरह वर्ष में प्रदेश के परिवारों में गर्भवती माताओं का प्रसव अस्पतालों में कराने में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है। संस्थागत प्रसव की दर वर्ष 2003 में 18.10 प्रतिशत थी, जो विगत तेरह वर्ष में बढ़कर 61.73 प्रतिशत हो गई।
  •     राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास और विस्तार के लिए अधोसंरचना निर्माण भी तेजी से जारी है। विगत तेरह साल में सरकारी जिला अस्पतालों की संख्या सात से बढ़कर 26, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 114 से बढ़कर 169, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 512 से बढ़कर 785 और उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या 3818 से बढ़कर 5186 तक पहुंच गई है। राज्य में वर्ष 2001-02 में केवल 07 सरकारी रक्त बैंक थे, जिनकी संख्या आज बढ़कर 19 हो गई है।
  •     स्वास्थ्य विभाग के बजट में विगत तेरह साल में 16 गुना वृद्धि की गई है। वर्ष 2003-04 में इस विभाग का बजट सिर्फ 242 करोड़ 33 लाख रूपए था, जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 3987 करोड़ 12 लाख रूपए तक पहुंच गया है।
  •     राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ-साथ मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का सुचारू संचालन। इन दोनों बीमा योजनाओं के तहत प्रदेश के लगभग 55 लाख 80 हजार परिवारों को सरकारी और पंजीकृत अस्पतालों में वार्षिक 30 हजार रूपए तक निःशुल्क इलाज का सुविधा।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली

गरीबों को भोजन का अधिकार

  •     देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़, जिसने अपनी विधानसभा में कानून बनाकर राज्य के 58 लाख से ज्यादा गरीब परिवारों को भोजन का अधिकार दिलाया है। इसके लिए प्रदेश में छत्तीसगढ़ खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा कानून 2012 लागू किया गया है। इस कानून के तहत गरीब परिवारों को राशन कार्ड पर प्रति सदस्य (यूनिट) सिर्फ एक रूपए में सात किलो चावल देने का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्रों में इन परिवारों को आयोडिनयुक्त दो किलो नमक निःशुल्क दिया जा रहा है। सामान्य क्षेत्रों में उन्हें एक किलो आयोडिन नमक निःशुल्क मिल रहा है। आदिवासी क्षेत्रों में प्रत्येक राशन कार्ड धारक गरीब परिवार को मात्र पांच रूपए किलो में दो किलो चना भी दिया जा रहा है। गरीबों को कुपोषण से बचाने में यह कानून काफी मददगार साबित हो रहा है। विगत तेरह साल में राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन दुकानों की संख्या 8673 से बढ़कर 12 हजार 349 तक पहुंच गई है। प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) का कव्हरेज बढ़कर 84 प्रतिशत हो गया है। सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली की एक बड़ी विशेषता है। राज्य की 12 हजार 349 राशन दुकानों में से 97 प्रतिशत दुकानों का कम्प्यूटरीकरण एंड्रायड टेबलेट के माध्यम से किया जा चुका है। पारदर्शिता और जनभागीदारी की दृष्टि से छत्तीसगढ़ की इस प्रणाली को वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया है। इस जनभागीदारी वेबसाइट http//cg.nic.in/citizen और khadya.cg.nic.in में इस प्रणाली के तहत राज्य में हो रहे कार्यों को सीधे देखा जा सकता है। सिटीजन वेबसाइट में नागरिक अपनी शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं। निःशुल्क कॉल सेंटर भी बनाया गया है, जिसका नम्बर 1800-233-3663 और 1967 है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना

  •    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली उज्ज्वला योजना में छत्तीसगढ़ सरकार ने दो साल के भीतर 25 लाख गरीब परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन, डबल बर्नर चूल्हा और पहला सिलेण्डर निःशुल्क देने का निर्णय लिया है। योजना राज्य में 13 अगस्त 2016 से शुरू हुई है। अब तक लगभग चार लाख गरीब परिवारों को महिलाओं के नाम पर रसोई गैस कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इससे इन परिवारों की महिलाओं को रसोई घरों में लकड़ी अथवा कोयले के चूल्हों के धुएं से मुक्ति मिली है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में हितग्राही अंशदान सिर्फ 200 रूपए है। शेष तीन हजार रूपए सरकारी अनुदान के रूप में दिए जा रहे हैं। इसमें से 1400 रूपए राज्यांश और 1600 रूपए केन्द्रांश शामिल हैं।

धान खरीदी

  •    छत्तीसगढ़ की प्रमुख फसल धान है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत धान खरीदी में भी राज्य ने अपनी एक अलग पहचान बनायी है। प्रदेश की 1333 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के 1989 उपार्जन केन्द्रों में निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान खरीदा जा रहा है। वर्ष 2003-04 से वर्ष 2015-16 तक विगत तेरह वर्ष में लगभग छह करोड़ 22 लाख करोड़ मीटरिक टन धान की खरीदी हुई और इसके लिए समितियों के सदस्य किसानों को करीब 64 हजार 730 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया। धान खरीदी के कार्यों में भी पारदर्शिता की दृष्टि से प्रत्येक समिति, प्रत्येक उपार्जन केन्द्र और समितियों के सदस्य किसानों की जानकारी, उनके द्वारा बेचे गए धान, उसके ऑन लाइन भुगतान आदि का ब्यौरा भी खाद्य विभाग की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

वनवासियों की आर्थिक बेहतरी का पूरा ध्यान

  •     राज्य के 31 वन मंडलों में जिला लघु वनोपज सहकारी संघ कार्यरत हैं। इनके अंतर्गत 901 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियों के माध्यम से संग्रहण केन्द्रों (फड़ों) में हर साल गर्मियों में 13 लाख 60 हजार वनवासी परिवारों को तेन्दूपत्ता संग्रहण में मौसमी रोजगार मिलता है। तेन्दूपत्ते की संग्रहण दर वर्ष 2015 में 1200 रूपए प्रति मानक बोरा थी, जिसे वर्ष 2016 में 300 रूपए बढ़ाकर 1500 रूपए कर दिया गया। संग्रहण कार्य में लगे परिवारों को वर्ष 2016 में 204 करोड़ 21 लाख रूपए का पारिश्रमिक भुगतान किया गया। नया रायपुर में एक नवम्बर को छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2016 के अवसर पर मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हाथों प्रदेश के तेन्दूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2015 के संग्रहण कार्य के लिए 88 करोड़ 06 लाख रूपए के प्रोत्साहन पारिश्रमिक (बोनस) वितरण कार्य का शुभारंभ। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2015 में संग्राहक परिवारों को 1200 रूपए प्रति मानक बोरा की दर से 156 करोड़ 07 लाख रूपए का पारिश्रमिक मिला था। तेन्दूपत्ता संग्राहकों को हर साल चरण पादुकाओं का भी वितरण किया जा रहा है। तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवारों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना भी संचालित की जा रही है। मुख्यमंत्री सोलर लैम्प वितरण योजना के तहत वन क्षेत्रों में निवास कर रहे परिवारों को लगभग एक लाख एलईडी लाईट और एक लाख 83 हजार सोलर एलईडी लैम्प वितरित किए गए हैं।
  •    राज्य में ग्रामीणों की भागीदारी से वनों के संरक्षण और संवर्धन के बेहतरीन प्रयास। संयुक्त वन प्रबंधन योजना के तहत सात हजार 887 वन प्रबंधन समितियों का गठन। इन समितियों में लगभग 30 लाख ग्रामीण सदस्य के रूप में शामिल, जिन्हें लगभग 20 हजार गांवों में से वन क्षेत्रों की पांच किलोमीटर की सीमा में स्थित 11 हजार 185 गांवों में 33 हजार 190 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्रों की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है। यह वन क्षेत्र के राज्य के कुल वन क्षेत्र का 55 प्रतिशत है। वनों की सुरक्षा और उनके विकास में भागीदारी के लिए इन समितियों को जंगलों में लकड़ी कटाई (काष्ठ विदोहन) से वन विभाग को होने वाली आमदनी का 20 प्रतिशत लाभांश के रूप में दिया जा रहा है । बांस कटाई की आमदनी की शत-प्रतिशत राशि लाभांश के रूप में उन्हें देने का प्रावधान किया गया है। विगत बारह वर्ष में इन संयुक्त वन प्रबंधन समितियों को 260 करोड़ 35 लाख रूपए का लाभांश वितरित किया गया है।

नया रायपुर में जंगल सफारी

  •     नया रायपुर में 320 हेक्टेयर के रकबे में जंगल सफारी का निर्माण किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक नवम्बर को छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2016 के अवसर पर इसका लोकार्पण किया। जंगल सफारी का निर्माण 2012 में निर्माण शुरू किया गया था। पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केन्द्र बन गया है। शेर, भालू, हिरण और तरह – तरह के वन्य प्राणियों की चहल-पहल यहां देखते की बनती है।

महिला एवं बाल विकास विभाग

  •     आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या 20389 से बढ़कर 46660 पहुंच गयी। मिनी आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या 836 से बढ़कर 5814 हो गयी।
  •     संकटग्रस्त/जरूरतमंद महिला हेतु टोल फ्री नम्बर 181 का संचालन शुरू किया गया।
  •     आंगनबाड़ी केन्द्रों में हितग्राही महिलाओं और बच्चों की संख्या वर्ष 2003-04 में 17 लाख 34 हजार थी, जो मार्च 2016 तक बढ़कर 25 लाख 84 हजार हो गयी। इनमें छह महीने से तीन वर्ष तक आयु समूह के बच्चों की संख्या 11 लाख 78 हजार 639, तीन वर्ष से छह वर्ष आयु समूह के बच्चों की संख्या 09 लाख 03 हजार 195 और गर्भवती और शिशुवती माताओं की संख्या 05 लाख 02 हजार 580 है।
  •     शिशु मृत्यु दर वर्ष 2003 में 70 थी, जो वर्ष 2014 में घटकर 43 प्रति हजार जीवित जन्म पर (एस.आर.एस. बुलेटिन के अनुसार) हो गयी। मातृ मृत्यु दर प्रति एक लाख जीवित जन्म पर 379 से घटकर 221 हो गई। सम्पूर्ण टीकाकरण की दर 56.9 से बढ़कर 74.9 प्रतिशत हो गई।
  •     बच्चों में कुपोषण का स्तर वर्ष 2004-05 में 47.1 था, जो मार्च 2014 तक घटकर 33.9 प्रतिशत रह गया।
  •     संयुक्त राष्ट्र संघ के मिलेनियम विकास लक्ष्य के अनुरूप कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए कुपोषण मुंिक्त अभियान चलाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत 24 जनवरी 2012 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कोण्डागांव जिले के शुभारंभ के अवसर पर प्रदेशव्यापी नवाजतन योजना का शुभारंभ किया।
  •     मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत सामूहिक विवाह समारोहों में लगभग 65 हजार  महिलाओं के हाथ हुए पीले।
  •    छत्तीसगढ़ महिला कोष योजना में वर्ष 2003 से महिला स्वसहायता समूहों के लिए ऋण योजना शुरू की गई है। प्रारंभिक वर्ष में उन्हें सिर्फ पांच हजार रूपए का ऋण दिया जाता था। ब्याज दर 10 प्रतिशत थी। वर्ष 2004-05 में ऋण राशि बढ़ाकर पहली बार 10 हजार रूपए और दूसरी बार 20 हजार रूपए देने का प्रावधान किया गया। वर्ष्ज्ञ 2006-07 में ब्याज दर 10 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दी गई। वर्ष 2009-10 में ऋण राशि बढ़ाकर पहली बार 25 हजार रूपए और दूसरी बार 50 हजार रूपए तक देने का प्रावधान किया गया। वर्तमान में वर्ष 2013-14 से उन्हें सिर्फ तीन प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज पर पहली बार 50 हजार रूपए और दूसरी बार में दो लाख रूपए तक ऋण सुविधा देने का प्रावधान किया गया। ब्याज दर 6.5 प्रतिशत से घटाकर सिर्फ तीन प्रतिशत कर दी गई। वर्ष 2003-04 से वर्ष 2016-17 में माह अक्टूबर 2016 तक तीस हजार 671 महिला समूहों को 60 करोड़ 90 लाख रूपए का ऋण दिया गया।
  •     एकीकृत बाल सरंक्षण योजना के अन्तर्गत राज्य के चयनित लगभग 8666 पंचायतों में सरपंच की अध्यक्षता में ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति का गठन।
  •     मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना के तहत लाभान्वित बच्चों की संख्या 130425
  •     सबला योजना 10 जिलों- रायपुर, गरियाबंद, बलौदाबाजार, रायगढ़, राजनांदगांव, कोण्डागांव, बस्तर, सूरजपुर, बलरामपुर और सरगुजा जिलों में संचालित। योजना के तहत 11 से 14 वर्ष आयु समूह की शाला त्यागी और 14 से 18 वर्ष आयु समूह की शाला जाने वाली किशोरी बालिकाओं को शामिल कर उन्हें हर महीने के द्वितीय और चतुर्थ शनिवार को पोषण आहार देने की व्यवस्था। प्रति बालिका 165 ग्राम के मान से छह दिनों के लिए 990 ग्राम रेडी-टू-ईट फुड। आंगनबाड़ी केन्द्रों में प्रत्येक 15 से 25 बालिकाओं को मिलाकर किशोरी समूह का गठन। योजना के अन्तर्गत 3.75 लाख किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट का प्रदाय।
  •     किशोरी शक्ति योजना प्रदेश के 17 जिलों -दुर्ग, महासमुंद, कवर्धा, धमतरी, कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, जशपुर, कोरिया, बिलासपुर, कोरबा, मुंगेली, जांजगीर-चाम्पा, बेमेतरा और बालोद में संचालित। योजना का उददेश्य 11 से 18 वर्ष आयु वर्ग की किशोरी बालिकाओं को किशोर वय में होने वाले शारीरिक मानसिक बदलावों की जानकारी देना और इन बदलावों के लिए मानसिक रूप से तैयार करना। स्वास्थ्य-पोषण, बच्चों की देखभाल, जीवन कौशल इत्यादि विषयों का कौशल प्रशिक्षण देना। शाला त्यागी बालिकाओं को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना।
  •     महतारी जतन योजना के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों में गर्भवती महिलाओं को सप्ताह में छह दिन गर्म और ताजा भोजन। प्रतिदिन इस योजना से 4.94 हजार महिलाएं लाभान्वित।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग

  •     देश के समस्त राज्यों में सबसे पहली बार छत्तीसगढ़ ने 37 लेयर्स पर भौगोलिक सूचना प्रणाली का क्रियान्वयन किया। देश में सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में जियो रेफरेंस के साथ जमीन के नक्शों का डिजिटाईजेशन किया। देश में सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ के कॉलेजों में आई.आई.टी. कानपुर के साथ ई-क्लास रूम प्रारंभ किए गए। देश में सबसे बड़ी ओपन सोर्स ई-शासन परियोजना ‘चॉइस’ छत्तीसगढ़ में तैयार की गई। देश में सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रानिक रूप से नागरिक सेवाएं प्रदान के नियम बनाए गए।
  •     राज्य में मानव संसाधन के विकास के लिए देश में सबसे पहले छत्तीसगढ़ में चतुर्थ श्रेणीे कर्मचारियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया गया। देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में राजनीतिक प्रशासकों को स्मार्ट गवर्नमेंट पर प्रशिक्षण दिया गया, जो एन.आई.एस.जी. का स्थायी प्रशिक्षण माड्यूल बन गया है। देश का पहला ई-शासन रोडमेप छत्तीसगढ़ ने तैयार किया।
  •     राज्य के सभी 27 जिलों तथा 148 तहसीलों में ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना के अंतर्गत लोक सेवा केन्द्रों की स्थापना। इन केन्द्रों के माध्यम से 37 विभिन्न नागरिक सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। लोक सेवा केन्द्रों के माध्यम से 27 लाख से अधिक नागरिक लाभान्वित हो चुके हैं।
  •     राज्य के गांवों और शहरों में सात हजार से अधिक सामान्य सेवा केन्द्रों (कॉमन सर्विस सेंटर) और चॉइस केन्द्रों के माध्यम से नागरिकों को 36 प्रकार की शासकीय सेवाएं दी जा रही हैं। इन केन्द्रों के जरिए ई-पेमेंट और कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा ।
  •    सामान्य सेवा केन्द्रों से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, मूल-निवास प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं। शिक्षा, राजस्व, स्वास्थ्य, टेली-मेडिसिन, रंगीन मतदाता परिचय पत्र, आधार पंजीयन, बीमा तथा बैंक संबंधी सेवाएं, बिजली बिल भुगतान, मोबाईल तथा डी.टी.एच. रिचार्ज जैसी अनेक सुविधाएं इन केन्द्रों से दी जा रही हैं।
  • सामान्य सेवा केन्द्रों में 65 लाख से अधिक लोगों का आधार कार्ड पंजीयन किया जा चुका है। तेरह लाख से अधिक नागरिकों के रंगीन मतदाता परिचय पत्र बनाए गए हैं। बिजली बिल भुगतान से संबंधित 18 लाख से अधिक ट्रांजेक्शन इन केन्द्रों पर किए गए हैं और साढ़े आठ से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं। सामान्य सेवा केन्द्रों में नागरिक सेवाओं के अतिरिक्त अन्य सेवाओं के 50 लाख से अधिक ट्रांजेक्शन किए जा चुके हैं।
  •   ‘छत्तीसगढ़ नवाचार एवं उद्यमिता विकास नीति’ तैयार की गई। प्रदेश के सभी जिलों, तहसीलों में लोक सेवा केन्द्रों का संचालन शुरू। लोकसेवा केन्द्रों के द्वारा राजस्व सेवा की 09 महत्वपूर्ण कृषि तथा नजूल सेवाएं प्रारंभ।
  • लोकसेवा केन्द्रों द्वारा बी-1 खसरा नकल की डिजिटल प्रमाणित कापी देने की शुरूआत। स्टेट पोर्टल द्वारा एक करोड़ से अधिक नागरिकों को सेवा प्रदाय। विद्यार्थी जीवन चक्र प्रबंधन परियोजना द्वारा आठ लाख छात्र-छात्राएं लाभान्वित। ई-प्रोक्योरमेंट योजना में राज्य के 46 विभागों को शामिल किया गया। इस योजना में लगभग 13 हजार करोड़ रूपए से अधिक लागत की पांच हजार 500 से अधिक निविदाएं की गई।
  •     युवा सूचना क्रांति योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों को 18 हजार लैपटाप और 56 हजार टेबलेट वितरित किए गए।  वाईफाई सिटी परियोजना के अंतर्गत राजधानी रायपुर के बारह स्थानों सहित दुर्ग, बिलासपुर, अम्बिकापुर और जगदलपुर के 18 स्थानों में वाईफाई सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।
  •     डिजिटल छत्तीसगढ़ परियोजना के अंतर्गत सी.जी. स्वान 2.0 परियोजना में सभी 27 जिलों को कुल 3300 कार्यालयों को इंटरनेट से जोड़ा गया। राज्य के बलरामपुर-रामानुजंगज जिले की सभी 340 ग्राम पंचायतें राष्ट्रीय फाईबर ऑप्टिकल नेटवर्क के जरिए इंटरनेट सुविधा से जुड़ी।
  •     बस्तर संभाग के सातों जिलों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 40 करोड़ रूपए की लागत की बस्तर नेट परियोजना की घोषणा। इस योजना में 832 किलोमीटर ऑप्टिकल फाईबर नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। जनशिकायतों का निराकरण वेबसाईट, ई-जनदर्शन, ग्राम सुराज की माध्यम से किया जा रहा है।
  •     ग्रामीण अंचलों तक ई-क्लास रूम और डिजिटल लाईबरेरी की सुविधा दी जा रही है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 146 मोबाईल टावरों की स्थापना। बस्तर और सरगुजा संभाग में 73-73 मोबाईल टावर लगाए गए हैं।

युवाओं का कौशल उन्नयन

  •     राज्य में 128 नये सरकारी आईटीआई खोले गए। इन्हें मिलाकर विगत तेरह साल में प्रदेश में शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई.टी.आई.) की संख्या बढ़कर 172 हो गई। 13200 नई सीटों के साथ इन सभी 172 शासकीय आई.टी.आई. में सीटों की संख्या 19360 तक पहुंच गई। इन सभी में 34 पाठ्यक्रम संचालित। चालू सत्र 2016-17 में नौ नये आई.टी.आई. – छुरा, खैरागढ़, पलारी, बास्तानार, उदयपुर, लुण्ड्रा, कटघोरा, कांसाबेल और बम्हनीडीह में खोले गए हैं। इनमें कम्प्यूटर ऑपरेटर एंड प्रोग्राम असिस्टेंट (कोपा) पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।  राज्य निर्माण के समय वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ में सिर्फ 44 सरकारी आई.टी.आई. थे, जिनमें केवल 5960 सीटें थी। प्रथम तीन वर्ष में (वर्ष 2003 तक) 17 नये आई.टी.आई. खुले, जिनमें केवल 704 सीटों की वृद्धि हुई थी। प्रदेश में संचालित सभी 172 शासकीय आई.टी.आई. में विगत तेरह साल में एक लाख 10 हजार युवाओं को विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनाया गया।
  •     छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य, जिसने अपने युवाओं को उनके मनपंसद व्यवसायों में कौशल प्रशिक्षण पाने का दिया कानूनी अधिकार। इसके लिए विधानसभा में विधेयक लाकर ‘छत्तीसगढ़ युवाओं के कौशल विकास का अधिकार अधिनियम 2013’ बनाया गया। इस अधिनियम के तहत प्रदेश के युवाओं को मनपंसद व्यवसायों में तकनीकी प्रशिक्षण पाने का कानूनी अधिकार मिला।
  •     युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए राज्य में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजनाओं का संचालन।
  •     युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए वर्ष वर्ष 2012 से वर्ष 2015 तक प्रदेश के सभी 27 जिलों में लाइवलीहुड कॉलेज खोले गए। कम पढ़े-लिखे युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए इन कॉलेजों में विभिन्न प्रकार के लघु व्यवसायों के लिए अल्पकालीन प्रशिक्षण की सुविधा। लगभग चार वर्ष में इन सभी लाइवलीहुड कॉलेजों में लगभग तीन लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब तक प्रशिक्षित हुए युवाओं में से लगभग 74 हजार युवाओं को निर्माण उद्योग, फ्रेबिकेशन, सिलाई-बुनाई,कम्प्यूटर परिचालन, कम्प्यूटर हार्डवेयर और इलेक्ट्रीकल सामानों को रिपेयरिंग आदि व्यवसायों में रोजगार मिला है।  वर्ष 2019 तक इन कॉलेजों में दो लाख 44 हजार से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है।  लाइवलीहुड कॉलेजों के संचालन के लिए राज्य स्तरीय लाइवलीहुड कॉलेज सोसाइटी गठित।
  •     मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ राज्य कौशल विकास प्राधिकरण का गठन। जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में प्रत्येक जिले में जिला कौशल विकास प्राधिकरण कार्यरत।

प्रधानमंत्री की प्राथमिकता वाली योजनाएं

  •     प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत राज्य में 47 लाख 12 हजार लोगों को बीमा सुरक्षा के दायरे में लाया गया। इस योजना में छत्तीसगढ़ पूरे देश में प्रथम। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत दो लाख 37 हजार से ज्यादा छोटे कारोबारियों को 1367 करोड़ से अधिक ऋण राशि का वितरण कर 105 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की गई। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राज्य के वर्ष 2015 के सूखा पीड़ित किसानों को 658 करोड़ रूपए का मुआवजा वितरित। छत्तीसगढ़ में 13 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू होने के सिर्फ साढ़े तीन माह के भीतर लगभग चार लाख गरीब परिवारों को महिलाओं के नाम पर निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन दिया जा चुका है।

ग्रामोद्योग विभाग

  •     ग्रामोद्योग विभाग से सम्बद्ध सभी घटकों-हाथकरघा, रेशम, हस्तशिल्प, माटीकला और ग्रामोद्योग बोर्ड के हितग्राहियों के समग्र विकास के लिए पंचवर्षीय ग्रामोद्योग नीति (2016-2021) तैयार की गई है।
  •    नीति के तहत ग्रामोद्योग से जुड़े सभी व्यवसायों के माध्यम से राज्य में 7 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य। नीति के क्रियान्वयन से आगामी पांच वर्षों में शिल्पियों एवं गारीगरों विशेषकर कमजोर वर्गों और महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
  •     प्रदेश में ग्रामोद्योग के विकास को ध्यान में रखकर चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 के वार्षिक बजट में 126 करोड़ 22 लाख रूपए का प्रावधान रखा गया है। पिछले वित्तीय वर्ष 2015-16 में 119 करोड़ 58 लाख रूपए का प्रावधान था।
  •    ग्रामोद्योग के रेशम, हाथकरघा, हस्तशिल्प, खादी और माटीकला बोर्ड के जरिए 2 लाख 66 हजार से अधिक हितग्राहियों को रोजगार मिल रहा है।
  •    छत्तीसगढ़ में कार्यशील बुनकर सहकारी समितियों की संख्या 111 से बढ़कर 214 और कार्यशील हाथकरघों की संख्या 7040 से बढ़कर 15 हजार 997 हो गई है।
  •    बुनकरों की बुनाई पारिश्रमिक वितरण 1.78 करोड़ रूपए से बढ़कर 38.73 करोड़ रूपए और शासकीय विभागों में वस्त्र आपूर्ति 5.87 करोड़ रूपए से बढ़कर 159.21 करोड़ रूपए हो गई है।
  •     राज्य में टसर कोसा का उत्पादन 5.55 करोड़ नग से बढ़कर 14.63 करोड़ नग, सिल्क उत्पादन 65 मीटरिक टन से बढ़कर 254 मीटरिक टन और शहतूती रेशम का उत्पादन 4005 किलोग्राम से बढ़कर 68 हजार 918 किलोग्राम हो गया है।
  •   वन आधारित कोसा उत्पादन कार्य में ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय वर्ष 2015-16 में 67 हजार 171 लोगों को रोजगार दिया गया।
  •    छत्तीसगढ़ खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की परिवार मूलक योजना के तहत 32 हजार 082 ग्रामोद्योग इकाईयों के लिए 40. 23 करोड़ रूपए का अनुदान और 74 हजार 464 लोगों को दिया गया रोजगार। इस योजना के तहत एक लाख रूपए के ऋण पर अधिकतम 13 हजार 500 रूपए अनुदान दिया जाता है। इसमे मुख्य रूप से सिलाई-कढाई, आटो रिपेयर, अगरबत्ती, दोना-पत्तल, मसाला उद्योग, मनिहारी, सायकल रिपेयरिंग की इकाईयां लगाते हैं।
  •    प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 7306 इकाईयों के लिए 124.70 करोड़ रूपए का अनुदान सहायता और 89 हजार 204 लागों को रोजगार दिया गया। कार्यक्रम के तहत ग्रामोद्योग इकाईयों की स्थापना के लिए 25 रूपए तक ऋण दिया जाता है। इसमें राईसमील, स्टोन क्रेसर, मोटर गैरेज, ईंट निर्माण, आटो रिपेयरिंग, इलेक्ट्रिकल्स, मोटर वाईडिंग आदि की इकाईयां लगाते है।
  •    हस्तशिल्प के विभिन्न विधाओं- बेलमेटल, लौह, बांस, काष्ठ, पत्थर, कौड़ी, शिशल, मृदा, कसीदाकारी, गोदना, भित्ती चित्र, कालीन आदि शिल्पों में राज्य के 380 शिल्पियों को दिया गया छह-छह माह का बुनियादी और उन्नत प्रशिक्षण।
  •   राज्य के हस्त शिल्पियों द्वारा निर्मित शिल्पों में गुणात्मक सुधान लाने 280 शिल्पकारों को दिया गया उन्नत औजार उपकरण।
  •   हस्त शिल्पियों को उनके उत्पादों की विपणन व्यवस्था के तहत राजधानी रायपुर के माना विमानतल परिसर, पुरखौती मुक्तांगन, छत्तीसगढ़ हाट परिसर पंडरी और शापिंग काम्पलेक्स आमापारा में शबरी एम्पोरियम। इसके अलावा भिलाई, राजनांदगांव, चम्पारण, जगदलपुर, परचनपाल, नारायणपुर, जशपुर, अम्बिकापुर, कोण्डागांव, कांकेर, मैनपाट और कनाट पैलेस नई दिल्ली एवं अहमदाबाद में शबरी एम्पोरियम संचालित।
  •   कुम्हारों और माटीशिल्पियों के आर्थिक एवं तकनीकी विकास के लिए 14 मार्च 2012 को छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड का गठन।
  •  माटी शिल्पियों को प्रशिक्षण और रोजगार देने के लिए महासमुन्द जिले के गढ़फुलझर में सात अक्टूबर 2014 से राज्य की प्रथम सिरेमिक ग्लेजिंग यूनिट शुरू। इससे 400 माटी शिल्प परिवारों को मिल रहा है रोजगार।
  • कुम्हार टेराकोटा योजना के तहत 1907 माटी शिल्पियों को उन्नत तकनीकी के विद्युत चाक का निःशुल्क वितरण।

( साभार जनसंपर्क विभाग)

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