विधानसभा चुनाव में हार के बाद पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा असंतुष्ट नेताओं और चुनाव से पहले भगवा पार्टी में शामिल होने वाले एक वर्ग पर कार्रवाई के साथ व्यापक संगठनात्मक फेरबदल करने की संभावना है. पार्टी सूत्रों ने बताया कि प्रदेश भाजपा अन्य दलों के नेताओं को शामिल करने के लिए एक ‘निगरानी अवधि’ (स्क्रीनिंग विंडो) बनाने और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उप-राष्ट्रवाद से मुकाबले के लिए अपनी अखिल भारतीय नीति के साथ ‘बंगाल को लेकर विशिष्ट राजनीतिक लाइन’ अपनाने पर विचार कर रही है.
भाजपा ने पार्टी के कुशल कार्यकर्ताओं और नेताओं को पुरस्कृत करके संगठन को नया रूप देने और स्थानीय और जिला स्तर के कई दलबदलुओं को हटाने का फैसला किया है. पार्टी ने दोतरफा दृष्टिकोण के साथ असंतोष पर लगाम लगाने का भी फैसला किया है.
चुनाव में हार, बढ़ती अंदरूनी कलह और नेताओं-कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने के मद्देनजर ये कदम उठाए जाएंगे. हाल में मुकुल रॉय भाजपा छोड़कर वापस तृणमूल कांग्रेस में चले गए थे. पार्टी सूत्रों ने बताया कि मई में विधानसभा चुनावों में हार के बाद प्रदेश भाजपा में असंतोष बढ़ गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच अनबन जारी है, जो एक-दूसरे को विफलता के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘संगठन के विभिन्न स्तरों पर कुछ बदलावों के लिए चर्चा चल रही है। कुछ मुद्दे हैं. इस तरह की बातें नहीं होतीं तो ज्यादा अच्छा होता.’