Union Budget 2021: अगर बजट में आयकर कानून के सेक्शन 80C में टैक्स डिडक्शन क्लेम की सीमा बढ़ती है तो लोग डिडक्शन क्लेम करने के लिए पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), NSC और LIC में कैन सा विकल्प चुनना पसंद करेंगे.
बजट 2021 से सभी लोगों को काफी उम्मीदें हैं. ऐसे में कोरोना काल के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण पेश होने वाले केंद्रीय बजट 2021-22 (Union Budget 2021-22) में कई बड़ी घोषणाएं कर सकती हैं. अगर बजट में आयकर कानून के सेक्शन 80C में टैक्स डिडक्शन क्लेम की सीमा बढ़ती है तो सवाल ये उठता है कि लोग डिडक्शन क्लेम करने के लिए पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), NSC और LIC में कैन सा विकल्प चुनना पसंद करेंगे. फाइनेशियल एक्सप्रेस में छपी एक खबर के मुताबिक, भारतीय डिडक्शन क्लेम करने के लिए PPF (Public Provident Fund) में ज्यादा निवेश करना चाहेंगे.
यह बात एक ट्विटर पोल से सामने आई है. गौरलतब है कि अभी सेक्शन 80C के तहत मान्य टैक्स सेविंग विकल्पों में निवेश के जरिए 1.50 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.
60 फीसदी लोगों ने चुना PPF को
FE ऑनलाइन ने ट्विटर पर एक पोल के जरिए पता चलता है कि अगर बजट में वित्त मंत्री सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दें तो डिडक्शन क्लेम करने के लिए 60 फीसदी ने PPF को चुनेंगे, 20 फीसदी ने जीवन बीमा पॉलिसी (LIC) में निवेश करने में रुचि दिखाई. वहीं होम लोन और डाकघर योजनाओं/NSC में 10-10 फीसदी पार्टिसिपेंट्स मिले.
बजट 2021 से ये हैं उम्मीदें
आयकर कानून के तहत सेक्शन 80C टैक्स में छूट पाने का सबसे पॉपुलर तरीका है. वर्तमान में इनकम टैक्स एक्ट 80 CCE के तहत सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD(1) के तहत एक साल में कुल 1.50 लाख रुपये की आमदनी पर आयकर से छूट मिलती है. इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की उम्मीद लोग वित्त मंत्री से लगाए हुए हैं.
क्या हैं PPF की विशेषताएं और फायदे
PPF में हर साल कम से कम 500 रुपये का निवेश करना पड़ता है और इसमें आप प्रत्येक फाइनेंशियल इयर में 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. यह एक प्योर डेट प्रॉडक्ट है. चूंकि यह एक सॉवरेन गारंटी द्वारा समर्थित है, इसलिए इसमें किए जाने वाले निवेश पर कोई क्रेडिट जोखिम नहीं होता है. PPF में, आईटी ऐक्ट के सेक्शन 80C के तहत लागू होने लायक लिमिट के आधार पर टैक्स बेनिफिट मिलता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इन्वेस्टमेंट अमाउंट, इंटरेस्ट, और मैच्योरिटी अमाउंट सब पर इनकम टैक्स माफ है.
कब मैच्योर होता है PPF
PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है लेकिन 6 साल पूरा होने के बाद कुछ रिस्ट्रिक्शन के साथ आंशिक निकासी की इजाजत है. दूसरी तरफ, PPF इन्वेस्टमेंट को 15 साल का मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने के बाद भी और 5 साल के लिए एक्सटेंड किया जा सकता है जहां निवेशकों को फ्रेश इन्वेस्टमेंट करने का ऑप्शन मिलता है या सिर्फ इन्वेस्टेड रहने और फ्रेश इन्वेस्टमेंट किए बिना इंटरेस्ट कमाने का ऑप्शन मिलता है.