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मध्य भारत में पहली बार आई.एम.एस.आई में टी.एल.एस की सहायता से हुआ बच्चों का जन्म।

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रायपुर, अशोक सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल टाइम लेप्स सिस्टम (टी.एल.एस) के माध्यम से बांझपन का उपचार करने वाला तकनीकी तौर पर उन्नति करने वाला प्रथम अस्पताल बन गया है, यह जानकारी आज एक प्रेस कांफ्रेस में दी गई। टीएलएस की सहायता से किया जाने वाला बांझपन का उपचार एक निःसंतान दंपती के सपने को वास्तविकता में बदलने में सफल हुआ। अशोक सुपरस्पेशालिटी अस्पताल और टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर पांड्री ने बांझपन के उपचार की सफलता दर में सुधार लेने के उद्देश्य से नई तकनीक की शुरुआत की। टीएलएस जैसे उन्नत उपचार निःसंतान दम्पति के जीवन में खुशिया ला रहे है। प्रसिद्ध इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ और अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. ए. सुरेश कुमार ने मध्य भारत में पहली बार इस नई तकनीक टाइम लेप्स सिस्टम का प्रयोग किया है, जिसमें भ्रूण बिना किसी बाधा के पर्यावरण में सुरक्षित रूप से विकसित हो सकता है। इससे सेल डिवीजन के सही समय का निरीक्षण कर आईवीएफ टीम के भ्रूण चयन में सुधार आता है। जो भ्रूण बेहतर रूप से विभाजित होते हैं उनके इम्प्लांटेशन की संभावनाएं काफी अधिक होती हैं। टाइम लेप्स सिस्टम का एक लाभ यह भी है कि यह भ्रूण के लक्षणों के विस्तृत विश्लेषण पर आधारित ज्ञान के साथ गर्भधारण करने की संभावना में सुधार करता है, ताकि स्वस्थ पूर्णकालिक गर्भावस्था की संभावनाएं बढ़े और गर्भपात की दर कम हो जाती है, जिसके फलस्वरूप सफलता दर में भी बढोतरी होगी, इसलिए, यह तकनीक उन रोगियों के लिए एक वरदान हो सकती है जिन्हे (अ) बार-बार इम्प्लांटेशन में विफलता (ब) बार-बार गर्भपात की समस्या (स) आई.यू.आई, आई.वी.एफ,आई.सी.एस.आई, आई.एम.एस.आई जैसे विभिन्न असिस्टेड प्रजनन प्रौद्योगिकियों के साथ विफलता (द) पुरुष बांझपन जैसी समस्या हो। एक स्थापित फर्टिलिटी और आई.वी.एफ विशेषज्ञ, एन्डोस्कोपिक सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ और अशोक सुपर स्पेशलिटी वूमेन हॉस्पिटल, रायपुर, छत्तीसगढ़ के डॉ. ए सुरेश कुमार के अनुसार, “आज की प्रचलित बांझपन और एआरटी तकनीकों जैसे 1990 में आई.यू.आई , 1991 में एंडोस्कोपिक सर्जरी, 1992 में शुक्राणु बैंक, 1994 में आई.वी.एफ, 2000 में आई.सी.एस.आई और भ्रूण बैंक, 2005 में ब्लास्टोसिस्ट कल्चर, 2008 में हैचिंग की मदद से लेजर, 2012 में आई.वी.एम और आई.एम.एस.आई, 2013 में सररोगसी, 2015 में साइकोप्लाज्मिक ट्रांसफर और 2016 में छत्तीसगढ़ राज्य और मध्य भारत में टाइम लेप्स सिस्टम की शुरुआत करने में अग्रणी डॉक्टर होने के नाते मरीजों हम पर विश्वास करते हैं और हम उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करते हैं, हम चाहते हैं कि इस नई तकनीक की सफलता से वह निःसंतान दम्पति जिन्हे ना चाहते हुए भी इलाज के लिए राज्य से बाहर जाना पड रहा है, आसानी से इसका लाभ उठा सके।” शादी के 11 वर्ष पूर्ण कर चुके एक दंपत्ति जिन्होंने अभी अपनी मातृत्व यात्रा की शुरआत की है, कहते हैं,”माता-पिता बनाने का अनुभव करन एक बेहद ही सुखद एहसास है और उन छोटी छोटी उंगलियों को छू कर यकीं होता है कि आपके सपने वास्तविकता में बदल गए हैं। इस सेंटर के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए हमने इस पर भरोसा किया और इनके साथ इलाज कराने का फैसला किया, शुक्र है कि डॉ. ए. सुरेश कुमार और डॉ.रत्ना में हमारा विश्वास सही साबित हुआ और अब हम खुश माता-पिता हैं।

(न्यूज़ पोर्टल की सहमति अनिवार्य नहीं)

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