दुनियाभर में भारत दूसरा ऐसा देश है जहां सोने की खपत सबसे ज्यादा होती है. भारत में लोगों के लिए सोना एक कीमती धातु ही नहीं बल्कि शुभ धातु भी है. इसके अलावा भी निवेश के लिए सोना सबसे बेहतर विकल्पों में से एक माना जाता है. भारत में सोने के महत्व का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि शादियों के लिए बजट का एक बड़ा हिस्सा सोने की ज्वेलरी और सिक्कों आदि के लिए खर्च किया जाता है.
सोने में निवेश के कई विकल्प हो सकते हैं जैसे गहने, सोने के सिक्के, गोल्ड बुलियंस वगैरह. लेकिन इन सबमें सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड.
1. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond)
इस सरकारी स्कीम में निवेश से रिस्क बेहद कम हो जाता है और आप बेफिक्र होकर रिटर्न हासिल कर सकती हैं. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को रिजर्व बैंक जारी करता है इसलिए इसकी शुद्धता को लेकर कोई झंझट नहीं होता. सॉवरेन गोल्ड फंड में निवेश करना फायदेमंद है. इसपर गोल्ड के भाव के अलावा सालाना 2.5 फीसदी का फिक्स्ड रिटर्न भी मिलता है.
2. गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETF)
सोने को शेयरों की तरह खरीदने की सुविधा को गोल्ड ईटीएफ कहते हैं. यह म्यूचुअल फंड की स्कीम है. यह सोने में निवेश के सबसे सस्ते विकल्पों में से एक है. ये एक्सचेंज ट्रेडेड फंड हैं जिन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है. चूंकि गोल्ड ईटीएफ का बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड की कीमतें है, आप इसे सोने की वास्तविक कीमत के करीब खरीद सकती हैं. गोल्ड ईटीएफ खरीदने के लिए आपके पास एक ट्रेडिंग डीमैट खाता होना चाहिए. इसमें सोने की खरीद यूनिट में की जाती है. इसे बेचने पर आपको सोना नहीं बल्कि उस समय के बाजार मूल्य के बराबर राशि मिलती है.
3. गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Funds)
गोल्ड ईटीएफ की तुलना में गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करना आसान है. आप सीधे ऑनलाइन मोड या उसके डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. दूसरी ओर, गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट खाता (Demat Account) होना चाहिए. गोल्ड म्यूचुअल फंड में, AMC रिटर्न के लिए गोल्ड ईटीएफ में अपना कॉर्पस का निवेश करता है. इसके अलावा, गोल्ड म्यूचुअल फंड निवेशकों को एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश करने की अनुमति देते हैं. गोल्ड म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड निवेश प्रोडक्ट है, जो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश करते हैं और उसका नेट एसेट वैल्यू (NAV) ETFs के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है.