कच्चे तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस (OPEC+) ने कच्चे तेल (Crude) के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया है. अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए ओपेक प्लस के सदस्यों ने उत्पादन में वर्ष 2020 के बाद सबसे बड़ी कटौती का निर्णय किया है. नवंबर से उत्पादन में 20 लाख बैरल प्रतिदिन कटौती का फैसला किया है. ओपेक प्लस में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के साथ रूस भी शामिल है.
तेल उत्पादक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती की खबर सामने आते ही कच्चे तेल की कीमतों में गुरुवार को तेजी आ गई. तेल का मूल्य तीन सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया. ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 46 सेंट या 0.5% बढ़कर 93.83 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड फ्यूचर्स 45, या 0.5%, सेंट उछलकर 88.21 डॉलर प्रति बैरल हो गया.
वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती को बताया कटौती का कारण
ओपके के सदस्य सऊदी अरब ने कटौती पर कहा कि उत्पादन में कुल वैश्विक सप्लाई के 2 फीसदी के बराबर कमी की जाएगी. पश्चिमी देशों में बढ़ती ब्याज दरों और वैश्विक अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती को देखते हुए उत्पादन में कमी करने का फैसला किया गया है. वहीं, अमेरिकी प्रशासन ने ओपेक प्लस के इस फैसले की आलोचना की है.
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता कैरीन जीन-पियरे ने कहा है कि क्रूड उत्पादन में कटौती का फैसला बताता है कि ओपेक प्लस संगठन रूस के साथ गठजोड़ बढ़ा रहा है. वहीं, रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्जेंडर नोवाक ने कहा है कि यदि पश्चिमी देश मूल्य संबंधी सीमा तय करते हैं तो इसके प्रतिकूल असर से निपटने के लिए रूस भी कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर सकता है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए झटका
ओपेक प्लस द्वारा कच्चे तेल उत्पादन में 2020 के बाद की सबसे बड़ी कटौती पहले से संघर्ष कर रही वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक और झटका माना जा रहा है. तेल की कीमतों में आ रही कमी से कुछ राहत मिल रही थी. बीते तीन महीनों में कच्चे तेल का मूल्य 120 डालर प्रति बैरल से घटकर 90 डालर प्रति बैरल रह गया था.
क्या बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?
हालांकि, उत्पादन में कटौती से तेल के दाम और उससे बनने वाले पेट्रोल-डीजल की कीमत पर विशेष असर होने की आशंका कम ही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ओपेक प्लस के सदस्य पहले ही तय कोटे के बराबर उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं.