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कुछ लोग धर्म के नाम पर नफरत फैला रहे हैं : NSA अजीत डोभाल ने दी चेतावनी

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने शनिवार को कहा कि कुछ तत्व ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे देश की प्रगति बाधित हो रही है. डोभाल ने यहां ‘कॉन्स्टिट्यूशन क्लब’ में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल (एआईएसएससी) द्वारा आयोजित एक अंतरधार्मिक सम्मेलन में विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं की उपस्थिति में यह टिप्पणी की. डोभाल ने कहा, ‘ऐसे तत्व धर्म और विचारधारा के नाम पर कटुता और संघर्ष पैदा कर रहे हैं, यह पूरे देश को प्रभावित करने के साथ ही देश के बाहर भी फैल रहा है.’

डोभाल ने कहा, ‘दुनिया में संघर्ष का माहौल पैदा हो रहा है. अगर हमें उस माहौल का मुकाबला करना है तो देश की एकता को एक साथ बनाए रखना जरूरी है और सशक्त मुल्क की तरह आगे बढ़ें. पिछले कुछ सालों से देश जो तरक्की कर रहा है इसका जो लाभ होगा वो हर हिंदुस्तानी को होगा.’ उन्होंने कहा, ‘चंद लोग जो धर्म या विचारधारा के नाम पर लोगों में हिंसा या संघर्ष पैदा करने का प्रयत्न करते हैं उसका प्रभाव पूरे देश पर होता है. देश के अंदर भी होता है और देश के बाहर भी होता है.’

दूसरी ओर, सम्मेलन में मौजूद हजरत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कट्टरपंथी संगठनों पर पाबंदी लगाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ‘कुछ भी घटना होने पर हम निंदा करते हैं. अब निंदा करने का नहीं, बल्कि कुछ कर दिखाने का समय है. देश में जितने भी कट्टरपंथी संगठन पैर पसार चुके हैं उनको बैन किया जाए. चाहे कोई भी कट्टरपंथी संगठन हो, उनके खिलाफ सबूत होने पर उन्हें बैन कर देना चाहिए.’

एनएसए डोभाल की अध्यक्षता में आयोजित अंतर-धार्मिक बैठक में विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं ने हिस्सा लिया. एआईएसएससी के तत्वावधान में आयोजित सम्मेलन में धार्मिक नेताओं ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे संगठनों और ऐसे अन्य मोर्चों पर प्रतिबंध लगाने’ का एक प्रस्ताव पारित किया जो ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त’ रहे हैं.

धार्मिक सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सभी संप्रदायों तक पहुंचने की कोशिश के रूप में आयोजित इस सम्मेलन में सूफी संतों ने भी भाग लिया. भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की पहल ऐसे समय में आई है, जब देश में भाजपा से निलंबित नेता नुपुर शर्मा की पैगंबर मोहम्मद पर विवादास्पद टिप्पणी और सूफी बरेलवी मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग की चरम प्रतिक्रियाओं के मद्देनजर देश में धार्मिक कलह है.

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