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बैंकों में लावारिस पड़े हैं 48 हजार करोड़ रुपये, दावेदारों को ढूंढने के लिए अभियान चलाएगा RBI

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भारतीय बैंकों के पास बिना दावे वाली राशि (Unclaimed Amount) लगातार बढ़ती जा रही है. रिजर्व बैंक (RBI) की सालाना रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में बैंकों में बिना दावे वाली राशि बढ़कर 48,262 करोड़ रुपये हो गई है. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 39,264 करोड़ रुपये थी. अब आरबीआई ने इस अनक्‍लेम्‍ड राशि के दावेदारों को ढूंढने के लिए अभियान चलाने का निर्णय लिया है. रिजर्व बैंक उन 8 राज्यों में अपना ध्यान केंद्रित करेगी, जहां सबसे ज्यादा रकम जमा है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, अगर कोई उपभोक्ता अपने खाते से 10 साल तक कोई लेनदेन नहीं करता है तो उस खाते में जमा रकम अनक्लेम्ड (Unclaimed) हो जाती है. जिस खाते से लेनदेन नहीं किया जा रहा है, वह निष्क्रिय (Dormant account) हो जाता है. अनक्लेम्‍ड राशि बचत खाता, चालू खाता, फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट, और रेकरिंग डिपॉजिट खाते में हो सकती है. अनक्‍लेम्‍ड राशि को रिजर्व बैंक के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में डाल दिया जाता है.

आठ राज्‍यों में ज्‍यादा रकम
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने बताया कि इसमें से ज्यादातर राशि तमिलनाडु, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, बंगाल, कर्नाटक, बिहार और तेलंगाना/आंध्र प्रदेश के बैंकों में जमा हैं. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों द्वारा कई जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद समय के साथ बिना दावे वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है.

क्‍यों बढ़ रही है अनक्‍लेम्‍ड राशि?
अनक्‍लेम्‍ड राशि इसलिए बढ़ रही है, क्‍योंकि बहुत से खाते लंबे समय से निष्क्रिय पड़े हैं. हर साल ऐसे खातों में से पैसा DEAF में जाता है. किसी बैंक अकाउंट के निष्क्रिय होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अकाउंट होल्‍डर की मौत होना, परिवार वालों को मृतक के अकाउंट के बारे में जानकारी न होना, गलत पता या फिर खाते में नॉमिनी दर्ज न होना.

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