28 व 29 जून को जीएसटी काउसिंल की बैठक होने वाली है. बैठक में कई बदलावों पर चर्चा की संभावना है. जीएसटी काउंसिल ई-कॉमर्स सप्लायर्स के लिए नियमों को आसान कर सकती है. इसके अलावा काउंसिल कमियों को दूर करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार भी दे सकती है.
सूत्रों के अनुसार, सरकार बैठक में राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) और अब तक लंबित मामलों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
वकीलों की नियुक्ति
संभावना है कि सरकार ने बैठक में यह भी बताएगी कि एनएए ने हाईकोर्ट्स में मामलों को डिफेंड करने के लिए सॉलिसिटर जनरल और वकीलों का पैनल नियुक्त किया है. इसके अलावा जिन कोर्ट् में एनएए के खिलाफ फैसला आया है तो उस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने के लिए वकीलों की एक टीम नियुक्त की गई है.
सीसीआई में होगा एनएए का विलय
सरकार ये साल खत्म होने तक एनएए को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में मिला सकती है. इस विलय के बाद एनएए के सभी लंबित मामलों कि निगरानी, जांच व फैसले संबंधी अधिकार सीसीआई के पास आ जाएंगे. खबरों के अनुसार, एनएए के पास अभी 400 मामले लंबित हैं.
बैठक में और क्या होगा अहम
जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई गैर-बीजेपी शासित राज्य मुआवजा विस्तार की मांग कर सकते हैं. दरअसल, जीएसटी से राज्यों को होने वाली घाटे की भरपाई 5 साल तक केंद्र को करनी थी, वे 5 साल 2022 में पूरे हो रहे हैं. ब्लूमबर्ग की एक खबर के अनुसार, बीजेपी समर्थित राज्य तमिलनाडु और बिहार भी इस मांग को समर्थन दे सकते हैं. ये बैठक इस लिहाज से भी अहम कि 1 जुलाई को जीएसटी कार्यान्वयन के 5 साल भी पूरे हो रहे हैं.