यात्रियों को बोर्डिंग से इनकार करने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) सख्त हो गया है. अब अगर किसी एयरलाइन्स ने वैध टिकट होने पर किसी यात्री को फ्लाइट में चढ़ने की इजाजत नहीं दी तो एयरलाइन कंपनी को यात्री को मुआवजा देना होगा. पहले यात्री को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं था. डीजीसीए द्वारा बेंगलुरू, हैदराबाद और नई दिल्ली में की गई जांच में सामने आया था कि एयर इंडिया (Air India) ने गलत तरीके से कई यात्रियों को बोर्डिंग मना कर दिया था, जबकि उनके पास वैध टिकट था और वे एयरपोर्ट पर भी मौजूद थे.
मनीकंट्रोल डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीए ने वैध टिकट होने पर भी यात्रियों को बोर्डिंग से मना करने पर एयर इंडिया पर 10 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है. साथ ही कंपनी को बोर्डिंग के संबंध में स्पष्ट नीति बनाने का भी आदेश दिया है. लगातार मिल रही शिकायतों के बाद नागर विमानन महानिदेशालय ने अब एयरलाइन्स के लिए बोर्डिंग से संबंधित नई गाइडलाइन्स जारी कर दी है. 14 जून को जारी एक प्रेस रिलीज में डीजीसीए ने कहा कि नई गाइडलाइन का पालन करना प्रत्येक एयरलाइन के लिए जरूरी है
अब देना होगा हर्जाना
डीजीसीए की नई गाडइलाइन्स के अनुसार, अगर किसी यात्री के पास वैध टिकट है और वो बोर्डिंग के वक्त मौजूद है, फिर भी अगर एयरलाइन उसे बोर्डिंग से मना करती है तो एयरलाइन को 10 हजार रुपये हर्जाना देना होगा. यह हर्जाना यात्री के लिए 24 घंटे में वैकल्पिक व्यवस्था करने पर देना होगा. अगर एयरलाइन 24 घंटे में कोई वैकल्पिक व्यवस्था यात्री के लिए नहीं कर पाती है तो उसे 20 हजार रुपये तक हर्जाना देना होगा.
भरना होगा 10 लाख रुपये जुर्माना
डीजीसीए ने कहा कि एयर इंडिया के पास अब तक यात्रियों को बोर्डिंग से इंकार करने संबंधी कोई नीति नहीं है. न ही एयरलाइन बोर्डिंग से वंचित किए गए यात्रियों को कोई हर्जाना देती है. डीजीसीए का कहना है कि ऐसे असहाय यात्रियों की संख्या काफी बड़ी है. एयर इंडिया पर 10 लाख रुपये जुर्माना लगाते हुए डीजीसीए ने कहा, “इस मुद्दे के समाधान के लिए एयरलाइन को तुरंत सिस्टम बनाने के लिए कहा गया है. अगर एयरलाइन ऐसा करने में असफल रहती है तो आगे एयरलाइन के खिलाफ और कदम उठाए जा सकते हैं.”