2014 के पहले यूपीए सरकार की पॉलिसी पैरालिसिस ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया। आलम ये था कि 10 साल तक रक्षा समझौते तक ताक पर रख दिए गए थे। सेना के आधुनिकीकरण की बात तो दूर, सेना के इस्तेमाल के लिए खरीददारी भी भारी पड़ती नजर आ रही थी। उपर से एक सेनाध्यक्ष को पद से दूर रखने के लिए सेना द्वारा सत्ता पलट की बात तक सत्ता के गलियारों में गूंजने लगी थी। इसी माहौल में जब पीएम मोदी ने सत्ता संभाली तो साफ कर दिया गया कि अब एक मजबूत रक्षा कवच रहेगा और एक मजबूत सेना आत्मविश्वास से भरे भारत का प्रतीक होगी।
इसलिए पीएम मोदी के 8 साल बेमिसाल हैं, न सिर्फ सेना के आधुनिकीकरण के लिए बल्कि ऐसे सुधारों के लिए भी जिसने सेना के आधुनिकीकरण के काम को और आसान बना दिया। अब भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना जिसके पास अति आधुनिक हथियार हैं।
देश और दुनिया ने फाइटर राफेल का शस्त्र पूजन देखा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुद फ्रांस जाकर राफेल को भारत लाने की प्रक्रिया शुरु की। पीएम मोदी ने तमाम रक्षा दलालों और कंपनी के स्तर पर चर्चा छोड़ कर सीधे फ्रांस सरकार के स्तर पर बातचीत कर राफेल की खरीद की राह प्रश्स्त की। साथ ही मेक इन इंडिया को बढावा देने के लिए इसके कल पूर्जे भारत में बनाने का समझौता भी कर लिया। राफेल और लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस ने भारतीय वायुसेना की क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया। रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का नारा बुलंद किया गया।
भारत में निर्मित जंगी जहाजों और पनडुब्बियों ने नेवी की मारक क्षमता को और बढाया। सेना के पास अब भारत में बने टैंक, मिसाइल और हैंड ग्रेनेड हैं जो आत्म निर्भर भारत के नारे को चार चांद लगा रहे हैं।सुरक्षा के लिए साजो सामान का इंतजाम करने के साथ साथ मोदी सरकार ने चीन से लगी 4000 किमी लंबी सीमा पर इंफ्रास्ट्रकचर पर जोर दिया और सभी सीमाओं पर सड़क से लेकर रेल, वायुमार्ग के रास्ते जल्दी से जल्दी पहुंचने का रास्ता भी बनाने पर जोर दिया। नतीजा सामने है।