एक अध्ययन से पता चला है कि SARS-CoV-2 वायरस से संक्रमण जो कोविड-19 का एक कारण बनता है, बीमारी के ठीक होने के बाद के चरणों में हड्डियों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है. जर्नल ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ में प्रकाशित अध्ययन कोविड-19 की संभावित दीर्घकालिक जटिलताओं के बारे में जानकारी मिली है.
शोधकर्ताओं ने कहा कि फेफड़ों के संक्रमण के अलावा, जिन लोगों को लंबे वक्त तक कोविड रहा है उनके शरीर के कई अंगों में मुश्किलों की बात सामने आई है. अध्ययन में पता चला है कि कोविड से हड्डियों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है.
इससे पहले भी ऐसे कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं जिसमें डॉक्टर्स ने यह पाया है कि कोविड-19 से उभरने वाले लोगों को जोड़ों में दर्द, हड्डियों में कमजोरी, कैल्शियम की कमी, हाथ-पैर में दर्द के साथ चलने में परेशानी आ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले डेढ़ दो साल में हड्डियों के मरीजों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है.
हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगी
इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया था कि, चूहों में कोरोना वायरस संक्रमण होने के 2 सप्ताह बाद हड्डियों को 25 प्रतिशत तक नुकसान पहुंचा है. वहीं इंसानों में भी हड्डियों की डेंसिटी कम होने का पता चला.
हड्डी के डेंसिटी में कमी या ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियों के टूटने की संभावना ज्यादा रहती है. कोरोना से संक्रमित हो चुके लोगों के इलाज के बादअब हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर्स की मदद ली जा रही है. क्योंकि यह वायरस संक्रमण का शिकार हुए व्यक्ति की हड्डी और जोड़ों को प्रभावित करता है. इसलिए इन लक्षणों को जानने के लिए ऑर्थोपेडिक टेस्टिंग की जरूरत होती है.
बता दें कि कोरोना महामारी से उभरने के बाद भी लोग कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर रहे हैं, जिन्हें पोस्ट कोविड लक्षण कहा जाता है