लगातार बढ़ रहे मोटापे (Obesity) ने न सिर्फ लोगों की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि सरकार को भी टेंशन दे दी है. देश में बढ़ते मोटापे को कंट्रोल करने के लिए सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग (NITI Aayog) अधिक चीनी (Sugar), वसा (Fat) और नमक (Salt) वाले खाद्य पदार्थों पर टैक्स लगाने पर विचार कर रहा है. साथ ही ‘फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग’ जैसे कदम उठाने के प्रस्ताव पर विचार हो रहा है.
फ्रंट-ऑफ-द-पैक लेबलिंग (FOPL) से उपभोक्ताओं को अधिक चीनी, नमक और वसा वाले उत्पादों को पहचानने में मदद मिलती है. नीति आयोग की 2021-22 की सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की आबादी के बीच मोटापे की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए इस तरह के कदम उठाने पर विचार किया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बच्चों, किशोरों और महिलाओं में अधिक वजन और मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है.
मोटापे पर काबू पाने की चल रही है तैयारी
रिपोर्ट में कहा गया कि 24 जून 2021 को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में माताओं, किशोरों और बच्चों को मोटापे से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक विचार-विमर्श का आयोजन किया गया था. इसमें बताया गया कि नीति आयोग आर्थिक विकास संस्थान (IEG) और भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन (PHFI) के सहयोग से इस दिशा में काम कर रहा है. इसके जरिये उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उठाए जाने वाले कदमों की पहचान की जा रही है.
अभी इतना लगता है टैक्स
नीति आयोग के उपायों के तहत फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग, एचएफएसएस (चीनी, नमक और वसा की ऊंची मात्रा वाली वस्तुएं) उत्पादों की मार्केटिंग, विज्ञापन, अधिक चीनी, वसा और नमक वाले उत्पादों पर टैक्स बढ़ाना शामिल है. गैर-ब्रांडेड नमकीन, भुजिया, वेजिटेबल्स, चिप्स और स्नैक्स पर 5 फीसदी जीएसटी (GST) लगता है. ब्रांडेड और पैकेटबंद उत्पादों के लिए जीएसटी की दर 12 फीसदी है.
तेजी से बढ़ रहा मोटापा
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (NFHS-5) 2019-20 के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त महिलाओं की संख्या बढ़कर 24 फीसदी हो गई है. 2015-16 में ऐसी महिलाओं की संख्या 20.6 फीसदी थी. पुरुषों के मामले में यह आंकड़ा बढ़कर 22.9 फीसदी पहुंच गया है. 2015-16 में मोटापे से ग्रसित पुरुषों की संख्या 18.4 फीसदी थी.