यूक्रेन पर रूसी हमले (Russian attack on Ukraine) का आज पांचवा दिन है. यूक्रेन शक्तिशाली रूस का अकेले मुकाबला कर रहा है लेकिन कोई भी पश्चिमी देश उसे सैन्य सहायता नहीं दी है. सबसे बड़ा सवाल अमेरिका पर खड़ा किया जा रहा है. युद्ध से पहले अमेरिका लगातार रूस को हमले न करने की धमकी देता रहा लेकिन जब युद्ध हुआ तो राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने स्पष्ट कर दिया कि अमेरिकी सेना यूक्रेन में रूसी सेना के साथ नहीं टकराएगी. हालांकि अमेरिका सहित सभी पश्चिमी देशों ने रूस पर युद्ध के अलावा सभी तरह के प्रतिबंधों की झड़ी लगा दी है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर अमेरिका ने यूक्रेन की सैन्य मदद क्यों नहीं की?
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड (Linda Thomas-Greenfield) ने कहा, बाइडेन प्रशासन ने एकदम स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका जमीन पर अपनी टांग नहीं अड़ाएगा. उन्होंने कहा, हम अपनी सेना को जोखिम में नहीं डाल सकते. लेकिन ऐसा कौन सा कारक है जिसके कारण अमेरिका यूक्रेन में अपनी सेना भेजने से कतरा रहा है.
विश्व युद्ध का डर
यूक्रेन में अमेरिकी सेना के न पहुंचने की कई वजहें बताई जा रही है लेकिन पश्चिम की मीडिया इसे अलग नजरिए से देखती है. सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद सेना को यूक्रेन में न उतारने की वजह बताई. उन्होंने एबीसी न्यूज से बात करते हुए कहा कि अगर रूस और अमेरिकी सेना एक-दूसरे के साथ भिड़ेंगे तो विश्वयुद्ध हो जाएगा. दूसरे शब्दों में कहें तो जैसे ही अमेरिकी सेना यूक्रेन में घुसेगी यह वैश्विक युद्ध में तब्दील हो जाएगा.
अब भी यह क्षेत्रीय युद्ध
अमेरिका में रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल मार्क हर्टलिंग (Mark Hertling) ने सीएनएन को बताया कि युद्ध की आशंका को सीमित करने के लिए डिप्लोमेसी सबसे बड़ी कुंजी है. हालांकि यूक्रेन पर रूसी हमला बेहद दुखद, अराजक और विनाशकारी है लेकिन अब भी यह क्षेत्रीय युद्ध है. उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका या नाटो सेना रूस के साथ संघर्ष में यूक्रेन की मदद करता है तो यह एक वैश्विक संघर्ष में तब्दील हो जाएगा. क्योंकि हम जानते हैं कि रूस और अमेरिका दोनों के पास परमाणु ताकत है. हार्टलिंग ने कहा, यही कारण है कि अमेरिका और नाटो देश अन्य तरह से सहायता पहुंचाकर रूस के खिलाफ यूक्रेन की सफलता के लिए प्रयास कर रहे हैं.