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India Ratings का अनुमान, FY23 में 3.6 फीसदी रह सकता है राज्यों का फिस्कल डेफिसिट

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रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने वित्त वर्ष 2022-23 में राज्यों के वित्त आउटलुक को संशोधित कर इसे ‘तटस्थ’ से ‘सुधरता हुआ’ (Neutral to Improving) कर दिया है. उसने कहा है कि राजस्व वृद्धि के दम पर राज्यों का कुल राजकोषीय घाटा या फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit) उनके जीडीपी (GDP) का 3.6% पर आ सकता है.

इसके पहले रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में राज्यों का फिस्कल डेफिसिट उनके जीडीपी के 4.1 फीसदी तक रह सकता है. वित्त वर्ष 2021-22 में इसके जीडीपी का 3.5 फीसदी रहने का पूर्वानुमान जताया गया है.

इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए उसका पिछला पूर्वानुमान ‘तटस्थ’ का था लेकिन अब इसे बदलकर ‘सुधरता हुआ’ किया जा रहा है. उसने कहा कि राजस्व प्राप्तियां बेहतर रहने और बाजार मूल्य पर जीडीपी में उच्च वृद्धि रहने की संभावना से उसने अपने आउटलुक अनुमान को संशोधित किया है.

एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष में राष्ट्रीय स्तर पर बाजार मूल्य पर जीडीपी की वृद्धि दर 17.6 फीसदी रहने का भी अनुमान जताया है जो 15.6 फीसदी के पिछले पूर्वानुमान से बेहतर है. उसने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में राज्यों की सकल बाजार उधारी 6.6 लाख करोड़ रुपये और शुद्ध बाजार उधारी 4.6 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो कि क्रमशः 8.2 लाख करोड़ रुपये और 6.2 लाख करोड़ रुपये के पिछले अनुमान से कम है.

वहीं अगले वित्त वर्ष में सकल बाजार उधारी 7 लाख करोड़ रुपये और शुद्ध बाजार उधारी 4.63 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान रेटिंग एजेंसी ने जताया है. राज्यों की राजस्व प्राप्तियां बढ़ने और केंद्र से ज्यादा कर हिस्सेदारी मिलने से हालात सुधरने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी के अनुसार उसका पूर्वानुमान चालू वित्त वर्ष में 26 राज्यों से प्राप्त सूचना पर आधारित है. इन राज्यों की सकल राजस्व प्राप्ति अप्रैल-नवंबर के दौरान सालाना आधार पर 25.1 फीसदी बढ़कर 16.4 लाख करोड़ रुपये रही जबकि इस अवधि में उनका राजस्व व्यय केवल 12 फीसदी बढ़ा

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