२१ वी सदी के भारत में चोटी काटने और कटने की कहानियां टेलीविजन चैनल प्राथमिकता से दिखा रहे है, क्या उनकी जबाबदारी नहीं बनती की इस तरह की वाहयात बातों को प्राथमिकता न देकर बाढ़ ग्रस्त छेत्रो में मदद और आवश्यकता प्राथमिकता से दिखाए। भ्रस्टाचार के खिलाफ बातें करे, युवाओं के रोजगार से जुड़े मुद्दे उठाये, चीन और पाकिस्तान की खबरें हो सकता है मिर्च मसाला हो लेकिन अन्धविश्वास, समाज जुड़े मुद्दों में टी आर पी नहीं ढूंढी जा सकती है। हम सभी लोगो को सचेत करे और आइना दिखाएं इन सड़कछाप पहुँच लिए चैनलों को।
डिजिटल भारत में रिमोट से चोटी काटना या कटना हास्यास्पद ही नहीं बल्कि किसी बड़ी घटना से ध्यान हटाने की साजिश है। .