उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार यानी 21 अक्टूबर को केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह नीट या मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के निर्धारण के लिए आठ लाख रुपये वार्षिक आय की सीमा तय करने पर पुनर्विचार करेगी. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह नीति निर्धारण के क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर रही है बल्कि केवल यह निर्धारित करने का प्रयास कर रही है कि क्या संवैधानिक मूल्यों का पालन किया गया है अथवा नहीं.
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्न की पीठ इस बात से खफा थी कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने हलफनामा दायर नहीं किया और कहा कि केंद्र एक हफ्ते के अंदर सवालों के जवाब दे. पीठ ने कहा, ‘‘हमें बताइए कि क्या आप मानक पर पुनर्विचार करना चाहते हैं अथवा नहीं. अगर आप चाहते हैं कि हम अपना काम करें तो हम इसके लिए तैयार हैं. हम प्रश्न तैयार कर रहे हैं जिसका जवाब आपको देना है.’’
इसने कहा, ‘‘हम सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा सकते हैं जिसमें ईडब्ल्यूएस निर्धारित करने के लिए आठ लाख रुपये का मानक तय किया गया है और आप हलफनामा दायर करते रहिएगा.’’ उच्चतम न्यायालय कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें केंद्र और मेडिकल काउंसिलिंग समिति (एमसीसी) की 29 जुलाई की अधिसूचना को चुनौती दी गई है. इस अधिसूचना के तहत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण मेडिकल पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में दिया गया है. (भाषा के इनपुट के साथ)