सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी सिप (SIPP) म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे पॉपुलर तरीका हो गया है. वे निवेशक, जो शेयर बाजार की पेचीदगियों से नावाकिफ हैं और मार्केट के जोखिम से बचना चाहते हैं वे म्यूचुअल फंड में एसआईपी के जरिये निवेश करते हैं.
एसआईपी से आप अपनी पसंद के म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में अपनी सुविधा के हिसाब से नियमित रूप से एक निश्चित धनराशि भी जमा कर सकते हैं. लोग फंड्स की बदलती नेट असेट वैल्यू (NAV) के आधार पर अपने निवेश को संतुलित कर अच्छा पैसा बना रहे हैं.
वैसे तो सिप में निवेश करना ज्यादातर फायदे का सौदा ही साबित होता है, लेकिन कई बार कम जानकारी के कारण सिप निवेशक, खासतौर पर नए निवेशक कुछ गलतियां (Investment Mistakes) कर बैठते हैं. इससे उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है.
बाजार के उछाल को देख कर न करें निवेश
शेयर बाजार में जब उछाल होता है तो कई निवेशक फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना शुरू कर देते हैं. लेकिन बाजार तो हिचकोले खाता रहता है, कभी ऊपर तो कभी धड़ाम से नीचे. बाजार जितनी तेजी से ऊपर चढ़ता है उतनी ही तेजी से नीचे आता है. इसलिए बाजार देखकर कभी निवेश ना करें.
म्यूचुअल फंड में निवेश हमेशा अनुशासन और धैर्य मांगता है. इसलिए सिस्टेमेटिक निवेश योजना के जरिये आप एक निश्चित अंतराल में थोड़ी-थोड़ी रकम किसी फंड में डालते हैं. यह आपके बाजार को जोखिम से बचाता है.
गिरते बाजार में एसआईपी को ना रोकें
ऐसे कई निवेशक हैं, जो बाजार नीचे आने पर एसआईपी रोक देते हैं और बाजार बढ़ते समय निवेश शुरू करते हैं. यह निवेश के बुनियादी सिद्धांत ‘बाय लो एंड सेल हाई’ के बिल्कुल उलट है. यह फैसला आपको घाटे में डाल सकता है. गिरते बाजार के समय भी निवेश जारी रखकर इस गलती से बच सकते हैं. बाजार की चाल का आकलन करने के बजाय निवेश अवधि के साथ मेल खाते फंड्स की कैटेगरी में निवेश करना चाहिए. इस तरह, आप निवेश की गई पूंजी को खोए बिना सही फंड चुन सकते हैं.
कम एनएवी का मतलब सस्ता फंड नहीं
कई खुदरा निवेशक कम एनएवी (Low NAV) को सस्ते फंड के तौर पर लेते हैं और उनमें सिप के जरिये निवेश करके ज्यादा रिटर्न की उम्मीद करते हैं.
बता दें कि किसी फंड की एनएवी ज्यादा या कम होने के कई कारण होते हैं. किसी फंड की एनएवी उसके असेट अंडर मैनेजमेंट की मार्केट प्राइस पर निर्भर करती है. अच्छे मैनेजर्स वाले फंड की एनएवी दूसरे फंड्स के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ेगी. ऐसे ही नए फंड की एनएवी पुराने फंड के मुकाबले कम होगी क्योंकि उसे ग्रोथ के लिए कम समय मिला है.
ऐसे में निवेशकों को म्यूचुअल फंड में सिप के जरिये निवेश करते समय उसकी एनएवी पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है. निवेशक को कंपनी के पिछले प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए और भविष्य की योजनाओं पर फोकस करना चाहिए.