20 साल बाद अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) का राज लौट आया है. चीन तालिबान को मान्यता देने वाला सबसे पहला देश है. चीन (China) के अलावा रूस और पाकिस्तान ही ऐसे देश हैं, जो अफगानिस्तान के नए तालिबान शासन के लगातार संपर्क में हैं. तालिबान शुक्रवार को अपनी सरकार का गठन भी करने जा रहा है. इस बीच तालिबान ने साफ कर दिया है कि वह फंड्स के लिए चीन पर निर्भर है, क्योंकि चीन ही उनके लिए सबसे भरोसेमंद सहयोगी है. सवाल ये है कि आखिर चीन तालिबान की मदद क्यों कर रहा है? इसके बदले में चीन को क्या चाहिए?
दरअसल, कुछ दिन पहले तालिबान में नंबर दो माने जाने वाले मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने बीजिंग का दौरा किया था. इस दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत हुई थी. अब इस दौरे का नतीजा साफ हो गया है. विशेषज्ञों की मानें तो अफगानिस्तान में 3 ट्रिलियन डॉलर (करीब 200 लाख करोड़ रुपये) की खनिज संपदा है. चीन की इसपर नजर है. इसलिए वह तालिबान की मदद कर रहा है.
तालिबान से दोस्ती के पीछे चीन का एजेंडा क्या है?
चीन कहता है कि वह तालिबान से दोस्ती चाहता है, ताकि झिंजियांग प्रांत में आतंकी ग्रुप्स की एक्टिविटी को रोक सके. चीन के विदेश मंत्री की बरादर से मीटिंग के दौरान भी उईगर आतंकियों का मसला उठा था. वांग यी ने तो कहा भी था कि तालिबान को ETIM से सभी संबंध तोड़ने होंगे. यह संगठन चीन की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ सीधे-सीधे खतरा है.
BRI प्रोजेक्ट्स के लिए भी काबुल का साथ चाहता है चीन
चीन अपने स्ट्रैटजिक बेल्ट-एंड-रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए भी अफगानिस्तान का साथ चाहता है. चीन BRI को पेशावर से काबुल तक जोड़ना चाहता है. इस रोड को बनाने की बातचीत पहले भी हुई है. यह रोड बन जाता है तो मिडिल ईस्ट के लिए चीनी सामान को पहुंचाने में मदद मिलेगी. यह अधिक सुविधाजनक और तेज डिलीवरी में काम आएगा. काबुल से होकर नया रास्ता बनता है तो BRI से जुड़ने के लिए भारत पर निर्भरता कुछ हद तक कम हो जाएगी. चीन के लंबे समय से हो रहे अनुरोधों के बाद भी भारत ने BRI से जुड़ने में अब तक इनकार ही किया है.
फंडिंग के लिए चीन क्या करेगा?
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन (Suhail Shaheen) ने ट्वीट कर बताया, ‘ कतर की राजधानी दोहा में इस्लामिक समूह के सदस्य अब्दुल सलाम हनफी (Abdul Salam Hanafi) ने चीन के उपविदेश मंत्री वु जियांगघओ (Wu Jianghao) से फोन पर बात की. इसमें चीन की तरफ से तालिबान सरकार को फंडिंग करने का भरोसा दिया गया.’ तालिबानी प्रवक्ता ने ट्वीट में यह भी बताया कि चीनी उप विदेश मंत्री ने कहा है कि काबुल में वे अपने दूतावास को जारी रखेंगे और तालिबान के साथ संबंधों को और मजबूत बनाएंगे. महामारी कोविड-19 को देखते हुए अफगानिस्तान में चीन की ओर से मिल रही मदद को और बढ़ाए जाने की भी बात कही है.