अफगान राष्ट्रीय सेना के 150 जवान और कैडेट जो भारत में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे, अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद उनका भाग्य अधर में लटक गया है. न्यूज18 को प्राप्त जानकारी के मुताबिक इनमें से कई एनडीए, आईएमए, और ओटीए में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे. हालांकि विद्रोहियों ने सभी सरकारी अधिकारियों का अपराध माफ करते हुए उन्हें काम पर लौटने के लिये कहा है.
अफगानिस्तान का रक्षा दल अब बदला लेने की स्थिति में नहीं है. वहीं भारत में प्रशिक्षण ले रहे सैनिकों का फैसला सरकार के हाथ में है, सरकार चाहे तो प्रशिक्षण पूरा करने के बाद सैनिकों को अफगानिस्तान रवाना कर दे या चाहे तो हालात के सामान्य होने तक वे यहीं रुक सकते हैं. एकऔर सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार उनके वीजा की अवधि बढ़ाने पर भी विचार कर रही है.
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक आईएमए के कैडेट, ओटीए और एनडीए के अलावा कुछ अफगान अधिकारी और दूसरे रैंक के कर्मचारी भी भारत में मौजूद रक्षा सैन्य प्रशिक्षण केंद्रों में खास तौर पर तैयार किए गए कोर्स का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. रिपोर्ट आगे बताती है कि सेना से जुड़े हार्डवेयर जिसमें एमआई -25 सशस्त्र हैलीकॉप्टर और तीन हल्के चीतल चॉपर शामिल हैं. इनकी आपूर्ति करने के अलावा भारत में आतंकवाद के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के तहत अफगान के हज़ारों सैनिकों को प्रशिक्षण भी दिया गया.
इस प्रशिक्षण में सिग्नल, गुप्त सूचना एकत्र करना, सूचना तकनीकी, फील्ड में होने वाले काम की बारीकी शामिल थी. यही नहीं महू के इन्फैंट्री स्कूल में यंग ऑफिसर कोर्स और मिजोरम के वैरिंगते के स्पेशल काउंटर -इनसर्जेंसी और जंगल वारफेयर स्कूल में भी प्रशिक्षण दिया गया.
पिछले एक दशक से भारतीय सेना के विभिन्न स्थलों पर हर साल 700-800 अफगानी सैनिक प्रशिक्षण पा रहे थे, लेकिन अफगानिस्तान का पतन इतनी तेजी से हुआ कि उसने किसी को संभलने का मौका तक नहीं दिया. यही नहीं काबुल में मौजूद राजदूतावास से नाटकीय तौर पर अलग-अलग देश अपने कर्मचारियों को हटाने पर मजबूर हो गई.