Home अंतरराष्ट्रीय पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान का वादा: शरिया कानून के तहत महिलाओं...

पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान का वादा: शरिया कानून के तहत महिलाओं को अधिकार, किसी देश को नुकसान नहीं

22
0

तालिबान ने मंगलवार को कहा कि वह महिलाओं को इस्लाम के तहत उनके अधिकार देने के लिए पूरी तरह से तैयार है. बीस साल के बाद फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हुए इस्लामिक समूह ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘तालिबान महिलाओं को इस्लाम के आधार पर उनके अधिकार प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. महिलाएं स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में काम कर सकती हैं जहां उनकी जरूरत है. महिलाओं के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होगा.’

इसके साथ ही तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि उन्होंने 20 साल के संघर्ष के बाद अपने देश अफगानिस्तान को आजाद कराया है. इतना ही नहीं, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान में किसी को नुकसान नहीं होगा. तालिबान ने कहा, ‘काबुल में दूतावासों की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है. हम सभी विदेशी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारे बल सभी दूतावासों, मिशनों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और सहायता एजेंसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वहां मौजूद हैं.’

तालिबान ने आगे कहा कि हम कोई आंतरिक या बाहरी दुश्मन नहीं चाहते, हम बहुत ऐतिहासिक चरण में हैं. उन्होंने अफगानिस्तान में अपने संघर्ष को सही ठहराया और कहा कि हमें अपने धार्मिक नियमों पर कार्रवाई करने का अधिकार है. अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने यह भी कहा कि वे बदले की भावना से काम नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, ‘हम एक ऐसी सरकार स्थापित करना चाहते हैं जिसमें सभी पक्ष शामिल हों.’

गौरतलब है कि दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया. विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए. तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.

विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं. लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here