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आईआईएफएम भोपाल, उत्तर प्रदेश वन और एल्यूमिनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया करेंगे वन विकास का कार्य

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तीनों संस्थानों द्वारा त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए

भोपाल : सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम) भोपाल, वन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार और एल्यूमिनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) ने उपयोग बाद खाली हुई खदानों को भरकर, हरियाली विकसित करने के एक ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर आज हस्ताक्षर किए।

इस समझौते के अंतर्गत इन संस्थाओं द्वारा एक पायलट स्टडी की जाएगी जिसका उद्देश्य वन्य क्षेत्रों में उपयोग के बाद खाली हुई खदानों (abandoned mine voids) को भरने के लिए रेड मड (red mud) और फ्लाई ऐश (fly ash) का उपयोग कर ऐसे क्षेत्रों में वन विकास के पैमानों को आंकना है।

एक और विशेष बात यह है कि इन गहरी खदानों को विशेष वैज्ञानिक पद्धति से एल्यूमीनियम उत्पादन के उपोत्पाद (byproduct) जो कि रेड मड और कोयला जलाने से बने फ्लाई ऐश हैं, का उपयोग कर भरा जायेगा जिसके ऊपर हरियाली तथा वन क्षेत्र विकसित किया जाएगा।

यह पायलट स्टडी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में ओबरा वन प्रभाग के डाला वन रेंज के भीतर खाली हुई खदानों में से एक बहुत छोटे हिस्से में शुरू की जाएगी।

इस अवसर पर बोलते हुए, समारोह के विशिष्ट मुख्य अतिथि, श्री चंद्र प्रकाश गोयल, वन महानिदेशक और विशेष सचिव, भारत सरकार ने कहा कि “आज का हस्ताक्षर समारोह अद्वितीय विशेषज्ञता, दृष्टि और समर्पण का प्रतीक है। यह पहल खाली हुई खदानों को फिर से जीवंत करने और हमारे जंगलों को बढ़ाने तथा कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन (Carbon Sequestration) के लिए हमारी एकजुट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

आईआईएफएम भोपाल के निदेशक डॉ. के. रविचंद्रन ने कहा कि “यह पहल पर्यावरण अनुसंधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और अभिनव समाधानों में योगदान करने के हमारे दृढ़ संकल्प को रेखांकित करती है। यह स्टडी सतत विकास के लिए हमारे साझा दृष्टिकोण का प्रमाण है।

श्री मनोज सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार ने इस तीनों संस्थानों के तालमेल पर ज़ोर देते हुए कहा कि “यह त्रिपक्षीय साझेदारी सरकारी नेतृत्व और उद्योगों के अभिनव अनुसंधान के कारण संभव हो पाई है।

श्रीमती ममता संजीव दुबे, चेयरमैन उत्तर प्रदेश SEIAA ने कहा कि “यह समझौता पारिस्थितिक तंत्र को फिर से जीवंत करने के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो पारिस्थितिक चुनौतियों का सामना करने में एकता की शक्ति का प्रमाण है।

एल्यूमिनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया के शासी निकाय के सदस्य के रूप में हिंडाल्को रेणुकूट क्लस्टर के सीओओ नरिसेट्टी नागेश ने अपने संबोधन में संस्था की प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘हिंडाल्को द्वारा प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी इस साझेदारी तक ही सीमित नहीं है। हम 2050 तक कोर जोन और बफर जोन में काम करके नेट कार्बन न्यूट्रॅलिटी लाने, स्वस्थ जल प्रबंधन, तथा जैव विविधता संरक्षित करने के लिए कटिबद्ध हैं।“

ग्रीनविच यूके, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी बीएचयू, आईएमएमटी बीबीएस, सीआरआरआई दिल्ली और सिपेट जैसे अनुसंधान संस्थानों के साथ जुड़कर अभिनव अपशिष्ट उपयोग के क्षेत्र में हम लगातार काम कर रहे हैं।

श्री नागेश ने कहा कि चाहे वह प्लास्टिक कचरे और रेड मड से कंपोजिट विकसित करना हो, खाली खदानों को भरना हो या सड़क निर्माण में रेड मड और फ्लाई ऐश का उपयोग करना हो, हम ये सारे प्रयास एक हरी-भरी और स्मार्ट दुनिया के संकल्प को पूरा करने के लिए कर रहे हैं।

इस समझौते का उद्देश्य न केवल उपयोग के पश्चात खाली हुई खदान क्षेत्रों (sites) को नया जीवन देना है, बल्कि एक सस्टेनेबल भविष्य की दिशा में मजबूत रास्ता भी तैयार करना है।

धन्यवाद

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