प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश में चल रहे लाइट हाउस प्रोजेक्ट (एलएचपी) की समीक्षा की. इसकी सबसे खास बात यह रही कि इस समीक्षा के दौरान पीएम मोदी को ड्रोन को जरिए सभी प्रोजेक्ट साइटों का ब्योरा दिया गया. शहरी एवं नगर मंत्रालय के सचिव ने सबसे पहले पीएम मोदी को इंदौर में चल रहे लाइट हाउस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी गई. उन्हें ड्रोन के माध्यम से नागपुर, पुणे, हैदराबाद और इंदौर में स्थित फैक्ट्री साइटों के बारे में विस्तार से बताया गया. इसके बाद कनाड़िया एक्सटेंशन और इंदौर की प्रोजेक्ट साइटों से अवगत कराया गया.
लाइट हाउस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि किस तरह से फैक्ट्री में ईपीएस का इस्तेमाल कर हल्के कंक्रीट का निर्माण हो रहा है. फिर हैदराबाद की फैक्ट्री में स्टील को तैयार करने के बारे में भी बताया गया. इसके बाद संजय पाटकर ने पीएम मोदी को ड्रोन के माध्यम से इंदौर के लाइट हाउस प्रोजेक्ट के बारे में पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में आठ ब्लॉक बन रहे हैं, जिसमें कुल 1024 घर होंगे.
पीएम मोदी ने इसी साल किया था शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी साल एक जनवरी को वैश्विक आवास निर्माण प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता-भारत (जीएचटीसी-इंडिया) के तहत छह राज्यों में छह स्थानों पर ‘लाइट हाउस परियोजनाओं’ की आधारशिला रखा थी. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने 2017 को जीएचटीसी-इंडिया के तहत ‘लाइट हाउस परियोजनाओं’ के निर्माण के लिए पूरे देश में छह स्थानों का चयन करने के लिए राज्यों व केद्रशासित प्रदेशों के लिए एक चुनौती की शुरुआत की थी. पीएम मोदी ने बताया कि इस योजना का लक्ष्य वो श्रमिक हैं, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में या गांव से शहर में आते हैं.
क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट और क्या है इसकी खासियत
लाइट हाउस प्रोजेक्ट केंद्रीय शहरी मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत लोगों को स्थानीय जलवायु और इकोलॉजी का ध्यान रखते हुए टिकाऊ आवास प्रदान किए जाते हैं. लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए जिन राज्यों को चुना गया है उनमें त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट में खास तकनीक का इस्तेमाल कर सस्ते और मजबूत मकान बनाए जाते हैं. इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से ही बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर घर बनाने के स्थान पर लाया जाता है, इसका फायदा ये होता है कि निर्माण की अवधि और लागत कम हो जाती है. इसलिए प्रोजेक्ट में खर्च कम आता है. इस प्रोजेक्ट के तहत बने मकान पूरी तरह से भूकंपरोधी होंगे.