भारत और चीन (India & China) के बीच पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से जारी गतिरोध के बीच चीनी वायुसेना ने पूर्वी लद्दाख के करीब अपने एयरबेस से बड़े हवाई अभ्यास को अंजाम दिया. ये अभ्यास भारतीय क्षेत्र से साफ दिखाई दिया. रक्षा सूत्रों ने एएनआई को बताया कि करीब 21-22 चाइनीज फाइटर एयरक्राफ्ट जिसमें कि खासकर जे-11एस जो कि सुखोई 27 फाइटर की चाइनीज कॉपी है और कुछ जे-16 फाइटर्स ने इस अभ्यास में हिस्सा लिया जो कि पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के ठीक सामने सम्पन्न हुई.
उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए इस अभ्यास को भारतीय क्षेत्र से साफ देखा जा सकता था. सूत्रों ने कहा कि चीनी लड़ाकू विमान की गतिविधियां होटन, गार गुंसा और काशगर हवाई क्षेत्रों सहित इसके ठिकानों से हुईं, जिन्हें हाल ही में अपग्रेड किया गया है ताकि कंक्रीट संरचनाओं के साथ-साथ सभी प्रकार के लड़ाकू विमानों के संचालन को सक्षम बनाया जा सके ताकि अलग-अलग एयरबेस पर मौजूद लड़ाकू विमानों की संख्या को छिपाया जा सके.
भारत भी कर रहा मिग-29 की तैनाती
सूत्रों ने कहा कि चीनी विमान हवाई अभ्यास के दौरान अपने क्षेत्र में ही रहे. लद्दाख क्षेत्र में भारतीय लड़ाकू विमानों की गतिविधियां पिछले साल से काफी बढ़ गई है. सूत्रों ने कहा, “इस साल चीनी सैनिकों और वायु सेना की ग्रीष्मकालीन तैनाती के बाद, भारतीय वायु सेना भी लद्दाख में मिग -29 सहित अपने लड़ाकू विमानों की टुकड़ियों को नियमित रूप से तैनात कर रही है.”
भारतीय वायु सेना नियमित रूप से लद्दाख के आसमान पर अपने सबसे सक्षम राफेल लड़ाकू विमानों को उड़ा रही है, जिसने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षमता को बढ़ाया है क्योंकि इनमें से 24 विमान पहले से ही भारतीय सूची में हैं.
सूत्रों ने कहा कि भले ही चीन ने पैंगोंग झील क्षेत्र से सैनिकों को वापस बुला लिया है, लेकिन उन्होंने एचक्यू -9 और एचक्यू -16 सहित अपने एयर डिफेंस सिस्टम को नहीं हटाया है जो लंबी दूरी पर विमानों को निशाना बना सकते हैं. भारत ने झिंजियांग और तिब्बत क्षेत्र में होटन, गार गुंसा, काशघर, होपिंग, डकोंका द्ज़ोंग, लिंझी और पंगट एयरबेस में हवाई क्षेत्रों सहित चीनी वायु सेना की गतिविधियों को करीब से देखा है.
अप्रैल-मई की समय सीमा में चीन के साथ तनाव के प्रारंभिक चरण में, भारतीय बलों ने सुखोई -30 और मिग -29 फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात किया था और उन्होंने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारतीय एयरस्पेस में चीनी विमानों के उल्लंघन को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
भारतीय वायु सेना ने लद्दाख क्षेत्र में चीनियों पर बढ़त बनाई हुई है क्योंकि उनके विमानों को बहुत ऊंचाई वाले ठिकानों से उड़ान भरनी होती है, जबकि भारतीय बेड़ा मैदानी इलाकों से उड़ान भर सकता है और लगभग कुछ ही समय में पहाड़ी क्षेत्र तक पहुंच सकता है.
भारतीय वायु सेना अपने बेड़े की गति के कारण पूरे देश में तीव्र गति से विमान स्क्वाड्रनों को तैनात कर सकती है और सीमित संसाधनों के बावजूद उनका बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकती है.