Home राष्ट्रीय बस अड्डे पर मजदूरों का सैलाब; एक ही डर- देर की तो...

बस अड्डे पर मजदूरों का सैलाब; एक ही डर- देर की तो फिर सैकड़ों मील पैदल भूखे पेट जाना पड़ेगा

167
0

दिल्ली का आनंद विहार बस अड्डा। रात के 3 बजे हैं। एक बार फिर इतिहास जिंदा होकर सामने खड़ा है। हजारों की तादाद में मजदूर अपने सामान और परिवार के साथ इकट्ठा हो चुके हैं।

न दो गज की दूरी और न मास्क का बंधन। थी तो बस घर पहुंचने की हड़बड़ी। अपने ही अतीत से घबराए मजदूर बोरिया-बिस्तर समेटे कैब, बस और ट्रेन के इंतजार में खड़े हैं। आखिर कोरोना से बिगड़ते हालात के बाद सोमवार सुबह दिल्ली सरकार ने 6 दिन के लॉकडाउन की घोषणा जो कर दी है।

आखिर आप घर क्यों जाना चाहते हैं? जवाब में बिहार के खगड़िया के नन्नू सिंह कहते हैं, ‘मालिक ने कह दिया कि हालात ठीक नहीं हैं। घर निकल जाओ। अभी नहीं निकले तो फंस जाओगे।’ बुलंदशहर के डेबरी गांव के पवन सिंह कहते हैं, ‘पिछले साल लॉकडाउन की वजह से घर जाने के बाद अभी तीन महीने पहले ही घर से लौटा था। काम-धंधा दोबारा शुरू करने की तैयारी कर रहा था। अभी जमना शुरू हुए ही थे कि फिर लॉकडाउन ने उखाड़ दिया।’..

पिछले एक साल में गांव में क्या किया? इस पर पवन कहते हैं, ‘क्या करता? बचत को खत्म किया। खेती-पाती है नहीं, बुलंदशहर में कोई ऐसा काम मिलता नहीं। यहां खानपुर में गत्ते की फैक्ट्री में सुपरवाइजर था। 12 हजार रु. महीना सैलरी थी। बच्चे गांव के स्कूल में पढ़ते हैं। उन्हें पिछले साल फीस न भर पाने की वजह से निकालना पड़ा था। दोबारा उन्हें स्कूल में भर्ती करने की सोच ही रहे थे कि अब फिर लॉकडाउन।’

दिल्ली में 6 दिन के लॉकडाउन की घोषणा होने के कुछ घंटों के भीतर मजदूरों का सैलाब आनंद विहार बस टर्मिनस पर उमड़ पड़ा। रांची के ननखू साहू कहते हैं, ‘मैं फैक्ट्री में था, पता चला कि लॉकडाउन की घोषणा हुई है। मैंने घर में फोन किया, सामान बांधकर रखना मैं ऑटो लेकर आता हूं। घर निकलना है। और हम निकल पड़े।’

बस अड्डे पर मौजूद ज्यादातर मजदूर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के हैं। और दिल्ली के नरेला, किराड़ी, खिड़की, नांगलोई, लाल कुआं, त्रिलोकपुरी, सुल्तानपुरी, बवाना, पटपड़गंज, ओखला में रहते हैं।

दिल्ली औपचारिक रूप से इस साल लॉकडाउन की घोषणा करने वाला पहला राज्य बना। हालांकि, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार शाम 5 बजे से इकट्ठी होने वाली भीड़ की तस्वीरें आने के बाद लोगों से दिल्ली छोड़कर न जाने की अपील की। लेकिन पिछले अनुभव से घबराए लोग कैब, बस या ट्रेन, जैसा जिसको साधन मिल रहा था वह राजधानी छोड़ने पर आमादा दिखा।

ज्यादातर मजदूर एक ही बात कह रहे थे कि पिछली बार हमें उम्मीद थी कि शायद स्थिति ठीक हो जाएगी। इंतजार करने की वजह से भूखों मरने की नौबत आ गई। हमें पैदल ही निकलना पड़ा। अगर फिर ट्रेन और बसें बंद हो गईं तो फिर निकलना मुश्किल हो जाएगा।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर हालात के बारे में बताया
दिल्ली में बेकाबू होते कोरोना के मामले और संसाधनों की कमी को लेकर केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दिल्ली की स्थिति से अवगत कराया। केजरीवाल ने खत में लिखा है, ‘दिल्ली में बेड्स और ऑक्सीजन की कमी है। इसलिए केंद्र दिल्ली की मदद करे।’ मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा कि दिल्ली में कोरोना बेड्स और ऑक्सीजन की भारी कमी है। लगभग सभी आईसीयू बेड्स भरे हैं। आपकी मदद की जरूरत है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने कहा- केंद्र की मदद से उबरेगी दिल्ली
दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भास्कर को बताया कि ‘हमने केंद्र से ऑक्सीजन और मेडिसिन आपूर्ति के लिए मदद मांगी है। हमें उम्मीद है कि केंद्र पिछली बार की तरह इस बार भी मदद करेगा। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने भी हमें आश्वासन दिया है।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here