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दैनिक दिनचर्या का पालन कर व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है: मनोचिकित्सक डाॅ. साहू

कोविड 19 के दौर में सकारात्मक रहने मनोवैज्ञानिक सलाह

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रायपुर 24 सितम्बर 2020: कोरोना के कारण आम लोग अपनी सामान्य जिंदगी नहीं जी पा रहे हैं। विद्यार्थी स्कूल-कालेज नही जा रहें, सामान्य आदमी भी बाहर नही निकल रहें, अपने मित्रों, रिश्तेदारों से नही मिल पा रहें। बीमारी का डर अलग है, इन सबका प्रभाव लोगों के दिमाग पर पड़ रहा है और वे मानसिक रूप से अशांत हो रहे हैं। पं.जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के मनोचिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. मनोज साहू ने इस संबंध में बताया कि कोविड 19 से संबंधित मनोवैज्ञानिक पीड़ा की पहचान के सामान्य लक्षण हैं- अनियमित नींद, चिडचिड़ापन, बार-बार रोने का मन करना, आराम करने या शांत रहने में कठिनाई,अत्यधिक चिंता, घबराहट, आत्मग्लानि, थकान, कमजोरी, खुश होने या मुस्कुराने में असमर्थता और दैनिक दिनचर्या का पालन करने आदि में कठिनाई होती है, किंतु सकारात्मक रहकर, दैनिक दिनचर्या का पालन करके, नियमित व्यायाम और प्राणायाम करने से, अपने करीबी लोगों से संपर्क रखकर व्यक्ति मानसिक रूप से शांति महसूस करता है। डाॅ. साहू ने बताया कि इस दौरान कुछ व्यक्तियों को विशेष शारीरिक लक्षण जैसे पेट दर्द या दस्त, सिरदर्द और शरीर में दर्द होना, कम भूख लगना या अत्यधिक खाना, पसीना आना या ठंड लगना, झटके या मांसपेशियां मे मरोड़, दिल की धड़कन तेज होना आदि दिखते हैं। व्यक्ति उदास महसूस करना, बेचैनी लगना, अकेलापन और बेबसी महसूस करता है। उसे ध्यान केन्द्रित करने, याद करने में कठिनाई होती है, नकारात्मक विचार आते है और कुछ मामलों में जीवन जीने की इच्छा भी खत्म हो जाती है। डा. साहू का मानना है कि कोराना के मरीजों को भी ये लक्षण होते हैं और सकारात्मक रह कर वे बिना किसी परेशानी के पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, उन्हे प्रमाणिक सूत्रों की जानकारी पर ही विश्वास करना चाहिए न कि अफवाहों पर।शिकायत करने के बजाय उपलब्ध संसाधनों के साथ समस्याएं हल करने पर ध्यान देना चाहिए, उन्होने कहा कि रोगियों को, चिकित्सा कर्मचारियों के कोरोना को रोकने और इलाज के प्रयासों पर विश्वास करना चाहिए। अपनी नियमित दिनचर्या और खान पान पर ध्यान देना चाहिए। गंभीर मानसिक लक्षण होने पर मनोराग विशेषज्ञ की सलाह लेने से हिचकिचाना नही चाहिए। मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी आम बीमारियों की तरह ही हैं, इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकोें से परामर्श करने में ही समझदारी होती है और व्यक्ति पूरी तरह सामान्य हो जाता है।

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