देश में दालों की कीमतों (Prices of Pulses) में उछाल से मोदी सरकार (Modi Government) चिंतित नजर आ रही है. देश में दलहन फसलों के उत्पादन पर हुए असर से सप्लाई घटने के कारण दाल की कीमतें बढ़ती ही जा रही हैं. खासकर उड़द, मूंग और अरहर जैसी दालों की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. हालांकि, देश के कई हिस्सों में दालों की उपज में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके बावजूद दाल की कीमतें लोगों को परेशान कर रही है. ऐसे में मोदी सरकार ने जमाखोरी को लेकर सख्त रुख अख्तियार कर लिया है. बुधवार को मोदी सरकार ने दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए इसकी जमाखोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने अब दाल आयातकों से अपना भंडार घोषित करने को कहा है. इससे दालों की जमाखोरी रोकने में मदद मिलेगी.
दाल की कीमतों में लगातार उछाल के बाद मोदी सरकार ने बुधवार को दाल आयातकों से पारदर्शी तरीके से नियमित आधार पर दालों का भंडार के बारे में जानकारी देने को कहा है. साथ ही अनाज की जमाखोरी नहीं करने को कहा है. घरेलू बाजार में दाल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए यह निर्देश दिया गया है. फरवरी से लेकर अब तक दालों की कीमतों में तकरीबन 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक उछाल देखने को मिला है. इससे फुटकर बाजार में दाल की कीमतों में 10 से 15 रुपये की तेजी आ गई है.
दाल की कीमतें अब घटेंगी!
बुधवार को उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दाल के बड़े आयातकों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जो भी उनके पास भंडार हैं, उसके बारे में नियमित आधार पर और पारदर्शी तरीके से जानकारी दें. साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि वे दाल की ऐसी कोई जमाखोरी नहीं करें, जिससे घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता बाधित हो. आने वाले दिनों में दाल की खपत को देखते हुए केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है.
दाल की कीमतें इतनी बढ़ गईं
अगर बात करें अरहर दाल की तो हाल के दिनों में इसकी कीमत में रिकार्ड बढोतरी हुई है. इसका असर बाजार पर भी पड़ रहा है. अरहर के दाल में फरवरी से लेकर अब तक तकरीबन 1200 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल देखने को मिला है. फरवरी में अरहर 8550 से 9000 रुपये प्रति क्विंटल में आसानी से उपलब्ध हो जाया करता था, जो अब बढ़कर 10500 रुपये तक पहुंच गया है.