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10,000 स्टार्टअप बेचैन, 1 लाख लोगों को सैलरी मिलेगी भी या नहीं, इस पर भी संशय

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अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक- सिलिकॉन वैली बैंक बंद हो चुका है. बैंक की मूल कंपनी SVB फाइनेंशियल ग्रुप के शेयरों में 9 मार्च को करीब 60% की गिरावट आई थी. इसके बाद इसे कारोबार के लिए रोक दिया गया ये बैंक स्टार्टअप्स को फंड देता है. अब इसके डूबने से निवेशकों और स्टार्टअप्स की सांसे फूल चुकी हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि एसवीबी के डूबने का असर 10,000 छोटे बिजनेस पर होगा. इनका अकाउंट सिलिकॉन वैली बैंक में था. इससे आने वाले समय में करीब 1 लाख कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है. जिससे भारी बेरोजगारी बढ़ने की संभावना है. भारत के भी कुछ स्टार्टअप इससे प्रभावित हो सकते हैं.

स्‍टार्टअप फंड प्रोग्राम वाई कॉम्बिनेटर ने अमेरिकी सरकार के पास एक याचिका दायर कर यह चिंता जाहिर की है. 2008 के वित्तीय संकट के बाद अमेरिका का यह अब तक का सबसे बड़ा फेल्योर है. सिर्फ दो दिन के दौरान ही बैंक के 100 अरब डॉलर रुपये डूबने से पूरी अमेरिकी अर्थव्‍यवस्‍था को ही हिलाकर रख दिया. सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने का असर दुनिया भर के बाजारों पर भी देखा जा रहा है.

कर्मचारियों की सैलरी पर संकट
बैंक के संकट की वजह से 1 लाख लोगों की नौकरियों पर ही संकट के बादल नहीं छा गए हैं बल्कि उनकी सैलरी भी लटक सकती है. ट्रेजरी के अमेरिकी सचिव जेनेट येलेन को सौंपी गई याचिका में कहा गया है कि वाई कॉम्बिनेटर के समुदाय में एक तिहाई स्टार्टअप सिलिकॉन वैली बैंक के एकमात्र खाते पर निर्भर है. अब बैंक से पैसा निकालने पर रोक लगने के बाद स्‍टार्टअप के लिए अपने कर्मचारियों को सैलरी देने के भी लाले पड़ सकते हैं.

भारतीय कंपनियों ने भी किया समर्थन
वाई कॉम्बिनेटर की याचिका में कहा गया है कि ये बैंकिंग संकट 10,000 से अधिक छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स को प्रभावित करेगा. वहीं अगर 10 लोगों को औसत नौकरी दी जा रही है तो फिर 1 लाख लोगों की नौकरी जाने की संभावना है. इस याचिका पर 3,500 से अधिक सह-संस्थापकों, सीईओ, और स्टार्टअप्स ने हस्‍ताक्षर किए हैं. इनमें भारतीय कंपनियां PayO, SaveIN और SalaryBook भी शामिल हैं.

एसवीबी के पास 250,000 डॉलर राशि
नेशनल वेंचर्स कैपिटल एसोसिएशन के अनुसार, सिलिकॉन वैली बैंक के पास 37 हजार से ज्यादा छोटे व्यवसाय हैं. इनकी 250,000 अमरीकी डालर से ज्यादा की बैंक में जमा है. हालांकि ये राशि अब बैंक यूज नहीं कर सकता. ये एफडीआईसी के नियंत्रण में है और वह वर्षों तक ये रिसीवर के रूप में काम करेगा.

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