Home स्वास्थ्य 95 % महिलाओं में कम पानी पीने से होता है, माइग्रेन।

95 % महिलाओं में कम पानी पीने से होता है, माइग्रेन।

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‘‘अमूमन पाया गया है कि अधिकांश महिलाओं में प्रयाप्त मात्रा में पानी पीने की आदत नहीं होती है, ज्यादातर कामकाजी महिला काम पर जाते वक्त पानी पीना कम पसंद करते हैं, ताकि वह सार्वजनिक स्थल पर बने गंदे प्रसाधन को उपयोग में लेने से बच सके. काफी हद तक यह महिलाओं में माइग्रेन की बडी वज़ह है।’’ ऐसा कहना है छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय के जाने माने नेत्र विशेषज्ञ डाक्टर अभिषेक मेहरा का।
महिलाओं में पुरूषों के मुकाबले तिगुना माइग्रेन की समस्या का सामना करती हैं, जिसमें से 50 प्रतिशत को एक महीनें में एक बार इसका सामना करना पड़ता है वहीं 25 प्रतिषत को चार या उससे भी ज्यादा अटैक पड़ सकते हैं। 92 प्रतिशत महिलाएं माइग्रेन की वज़ह से अपंग हो चुकी हैं। ‘‘हर चार में से तीन जिन्हें माइग्रेन है वो महिलाएं हैं। माइग्रेन की समस्या 20से 45 साल की महिलाओं में आम है। इस समय पर महिलाओं पर नौकरी ,परिवार व समाजिक जिम्मेदारी ज्यादा होती हैं, वे अधिक दर्द व ज्यादा लम्बे समय चलने वाले सर की पीड़ा के लक्ष्णों जैसे कि मिचली व उल्टी की शिकायत करती हैं, इन सब वज़हों से उन्हे अपने दायत्वो को निभाने में दिक्कतें आती हैं।’’ माइग्रेन को समझाते हुए डाक्टर अभिषेक मेहरा का कहना हैं कि ‘‘ माइग्रेन चिकित्सीय अवस्था है, जिसमें भयंकर सिर दर्द होता है, जो सर के एक हिस्से में या कभी कभी दोनो तरफ होता है, ज्यादातर लोगो को कनपटी पर दर्द महसूस होता है या फिर एक आँख या कान के पीछे , हालांकि सर के किसी भी हिस्से में तकलीफ हो सकती है, दर्द के अलावा माइग्रेन में मिचली व उल्टी भी होने की संभावनाएं हैं, कुछ लोगो को धब्बे व लाईट की चमक भी दिखती है।’’ माइग्रेन दिन में किसी समय भी हो सकता है, हालांकि ये ज्यादातर सुबह के समय शुरू होता है। इसका दर्द कुछ धन्टों से लेकर कई दिन तक भी रह सकता है, माइग्रेन से सेहत पर ज्यादा प्रभाव नहीं पडता है, पर ये दिनचर्या पर असर करतें है। कुछ महिलाओं में गर्भ निरोधक गोलियों से माइग्रेन कम करने में मदद मिलती है, जबकि कुछ महिलाओं में ये स्थिती और खराब हो सकती है। वही कई महिलाओं में गर्भ निरोधक गोलियों का कोई असर नहीं होता है, माइग्रेन पर। माइग्रेन से बचाव का सबसे अचूक तरीका है कि पता करें कि आपको किन -किन वज़हों से माइग्रेन की शिकायत होती है व आप उन सबसे कैसे बच सकते हैं, क्योंकि माइग्रेन स्ट्रेस में ज्यादा होता है, तो जरूरी है कि उसे कम करने के तरीके ढूंढे व उससे उबरने की कोशिश करें, बेहतर होगा कि अपने नेत्र चिकित्सक से सम्पर्क करें। परिपक्वता के बाद, जब ऐसट्रोजन का असर शुरू होता है, तब ही इसका प्रभाव लड़कयों में बढता है। लड़कयों में उनका पहला माईग्रेन जिस साल उनका पीरयड शुरू होता है, उस साल ही होता है। परिपक्वता के बाद माईग्रेन 40 साल तक बढ़ता है, फिर उसके बाद कम होने लगता है। डॉ ने दो केस स्टेडी पर बताया कि एक महिला को कई महीने से अपने पीरियड के बाद सर के एक हिस्से में दर्द शुरू हो जाता था, उसे लगा कि कहीं उसे चश्मा तो नही लगने वाला है, इसी आशंका की वजह से उसने डाक्टर से सम्पर्क करा, पूरी जाँच करने के बाद पता चला कि वो माइग्रेन से ग्रसित है। इसी प्रकार प्रतिष्ठित संस्थान में काम करने वाली एक महिला को अक्सर सर दर्द की शिकायत रहती थी, जिस समय सर दर्द होता, उन्हे कमरा बंद करके अंधेरे में रहने का मन करता व चिडचिडापन महसूस होता था। कभी कभी दर्द की तीव्रता इतनी ज्यादा होती कि उल्टियाँ भी हो जाया करती, डाक्टर से परामर्श लेने से पता चला कि उन्हें माइग्रेन की शिकायत है ।

(अभिषेक मेहरा के निज विचार हैं, वेबपोर्टल कि सहमति आवश्यक नहीं है)

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