Home राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को कैसे खराब करते हैं नकली नोट, कहां होती है इनकी...

अर्थव्यवस्था को कैसे खराब करते हैं नकली नोट, कहां होती है इनकी सर्वाधिक छपाई, रोकने के लिए उठाए गए क्या कदम

33
0

हाल ही में ‘फर्जी’ नामक एक वेब सीरीज आई थी. इसमें मुख्य किरदार जाली नोटों की छपाई करता है. वहीं, पुलिस-प्रशासन उसे व उसके जैसे अन्य लोगों को रोकने के लिए भरसक प्रयास करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बगैर सरकार व आरबीआई के अनुमति के नोट छापना अपराध है. इस बात से तो वैसे अधिकांश लोग वाकिफ होंगे, लेकिन फर्जी नोट ऐसा क्या करते हैं जिसकी वजह से इनकी छपाई पर प्रतिबंध है, इस बात को कम ही लोग जानते होंगे. इसका सबसे बड़ा कारण है कि फर्जी नोटों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है और ये अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ देते हैं.

जाली भारतीय नोटों को FICN या फेक इंडियन करेंसी नोट्स कहा जाता है. सबसे अधिक FICN की प्रिंटिंग पाकिस्तान में की जाती है. इसे फिर सीधे भारत-पाकिस्तान सीमा से या अन्य पड़ोसी मुल्कों के रास्ते भारत में भेजा जाता है. जानकारों के अनुसार, बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते बड़ी मात्रा में फर्जी करेंसी नोट भारत पहुंचते हैं. फर्जी नोट का सीधा और दोगुना फायदा आतंकी संगठनों को पहुंचता है. आइए जानते हैं कैसे.

हाल ही में ‘फर्जी’ नामक एक वेब सीरीज आई थी. इसमें मुख्य किरदार जाली नोटों की छपाई करता है. वहीं, पुलिस-प्रशासन उसे व उसके जैसे अन्य लोगों को रोकने के लिए भरसक प्रयास करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि बगैर सरकार व आरबीआई के अनुमति के नोट छापना अपराध है. इस बात से तो वैसे अधिकांश लोग वाकिफ होंगे, लेकिन फर्जी नोट ऐसा क्या करते हैं जिसकी वजह से इनकी छपाई पर प्रतिबंध है, इस बात को कम ही लोग जानते होंगे. इसका सबसे बड़ा कारण है कि फर्जी नोटों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है और ये अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ देते हैं.

जाली भारतीय नोटों को FICN या फेक इंडियन करेंसी नोट्स कहा जाता है. सबसे अधिक FICN की प्रिंटिंग पाकिस्तान में की जाती है. इसे फिर सीधे भारत-पाकिस्तान सीमा से या अन्य पड़ोसी मुल्कों के रास्ते भारत में भेजा जाता है. जानकारों के अनुसार, बांग्लादेश और नेपाल के रास्ते बड़ी मात्रा में फर्जी करेंसी नोट भारत पहुंचते हैं. फर्जी नोट का सीधा और दोगुना फायदा आतंकी संगठनों को पहुंचता है. आइए जानते हैं कैसे.

फर्जी करेंसी से लड़ाई के लिए उठाए गए कदम
2016 में विमुद्रीकरण करने का एक बहुत बड़ा कारण यही था. भारत ने एनआईए (NIA) में एक टेरर फंडिंग एंड फेक करेंसी सेल का भी गठन किया था. प्रेस इंफोर्मेशन ब्यूरो के अनुसार, अलग-अलग राज्यों के पुलिस बलों को वित्तीय आतंकवाद से लड़ाई के विभिन्न पहलुओं को समझाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है. फेक करेंसी के मामले में केंद्र व राज्य की एजेंसियां एक-दूसरे के सहयोग के साथ काम करती हैं. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर चाक चौबंद बढ़ा दिया गया है. बांग्लादेश और भारत के बीच इसे रोकने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं. यहां तक की नेपाल और बांग्लादेश के पुलिस अधिकारियों को इसके लिए ट्रेनिंग भी दी गई है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here