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मोदी सरकार के दौरान सैन्य सेवाओं में महिलाओं का सम्मान नए शिखर पर

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नरेंद्र मोदी महिलाओं की शिक्षा, रोजगार, उत्थान, सम्मान और आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी के लिए निरंतर प्रयासरत रहे हैं. पीएम मोदी का विश्वास है कि महिलाओं की प्रगति के बिना राष्ट्र की प्रगति संभव नहीं है. महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ाने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने एक दूरगामी योजना के तहत सैन्य सेवाओं में महिलाओ के बड़े स्तर पर प्रवेश और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं.

सैन्य स्कूलों में लड़कियों का प्रवेश
मोदी सरकार ने सैनिक स्कूलो में लड़कियों के प्रवेश को प्रोत्साहन देने के लिए दो स्तरीय नीति अपनाई. इसके पहले चरण में सैनिक स्कूलों के द्वार लड़कियों के लिए खोलना था. जबकि दूसरे चरण में 18 नए मंजूरी प्राप्त सैनिक स्कूलों को अनुमति देना था. मोदी सरकार ने वर्ष 2018-19 में इस योजना की शुरूआत की और पहले वर्ष 6 लड़कियों को सैनिक स्कूल में प्रवेश मिला. मोदी सरकार की इस योजना को स्तर पर आम जनता का समर्थन मिला और यह इस वर्ष सैनिक स्कूलों के लिए हुई प्रवेश परीक्षा में बड़े स्तर पर लड़कियों के सम्मिलित होने से भी प्रदर्शित हुआ. इस वर्ष 8 जनवरी को 33 सैनिक स्कूल और 18 नए मंजूरी प्राप्त सैनिक स्कूल के लिए आयोजित प्रवेश परीक्षा में 37,698 ल़ड़कियां प्रवेश परीक्षा में सम्मिलित हुईं. और कुल 25,837 लडकियों ने प्रवेश परीक्षा पास की. देहरादून स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (RIMC) के इतिहास में पहली बार जुलाई 2022 में 2 छात्राओं को प्रवेश मिला था.

सेवाओं में महिलाओं को अहम भूमिका
भारतीय सैन्य सेवाओं में आज लगभग 3,900 से अधिक महिला अधिकारी कार्यरत हैं. इनमें 1,710 सेना, 1,650 वायुसेना और 600 नौसेना में कार्यरत हैं. इसके अतिरिक्त 1,670 महिला डॉक्टर, 190 डेटिस्ट और 4,750 नर्स भी मिलिट्री मेडिकल स्ट्रीम में कार्यरत हैं.

मोदी सरकार के कार्यकाल में महिला सैन्य अधिकारियों को अहम भूमिका पर तैनात किया जा रहा है. इस साल जापान के साथ आयोजित एयरफोर्स एक्सरसाइज में पहली बार महिला फाइटर फायलट अवनी चतुर्वेदी सम्मिलित हुई. यही किसी भी विदेशी जमीन पर आयोजित ज्वाइंट एक्सरसाइज में महिला एयरफोर्स पायलट के शामिल होने का पहला मामला था. तुर्की में आए भीषण भूकंप के दौरान मेजर (डॉ.) बीना तिवारी की सेवाओं ने संपूर्ण विश्व के सामने भारत की छवि को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया. दुनिया के सबसे ऊंचे बैटलफील्ड सियाचिन ग्लेशियर में कैप्टन शिवा चौहान ने साबित कर दिया कि महिलाएं किसी भी दुर्गम क्षेत्र में चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं.

सीमा पर चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं भी
भारत आज अपने दो पड़ोसी देशों से निरंतर रक्षा चुनौतियों का डटकर सामना कर रहा है. सेना के तीनो अंग देश की सीमाओं पर डटकर खड़े हैं और दुश्मन के किसी भी नापाक मंसूबे का मजबूत जवाब देने के लिए तत्पर है. वर्षों तक सीमावर्ती इलाको में अहम भूमिका सिर्फ पुरुष अधिकारियों को दी जाती थीं लेकिन मोदी सरकार ने महिलाओं की वीरता,आत्मविश्वास और हौंसले को नई उड़ान देते हुए हाल ही में अहम भूमिका देने की शुरुआत की है.

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