वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को संसद में साल भर का बजट पेश किया है. जिसमें कई मदों में नई-नई योजनाओं का ऐलान किया गया है. हालांकि कृषि बजट में केंद्र सरकार ने इस बार किसानों और खेती को लेकर तीन ऐसी घोषणाएं की हैं जो आने वाले समय में किसानों को बड़ा फायदा पहुंचाएंगी. विशेषज्ञों की मानें तो इन तीन कदमों से न केवल किसानों की आजीविका में सुधार होगा बल्कि न्यूट्रीशन से भरपूर खानपान भी बढ़ेगा.
काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर में सीनियर प्रोग्राम लीड अपूर्व खंडेलवाल कहते हैं, ‘वित्तमंत्री द्वारा पेश केंद्रीय बजट में प्राकृतिक खेती के लिए तीन प्रमुख घोषणाएं शामिल हैं जो संभावित रूप से पोषण सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आजीविका में सुधार कर सकती हैं और जलवायु लचीलापन (क्लाइमेट रिजीलियंस) भी ला सकती हैं. इनमें पहला, राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के माध्यम से अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों की सहायता की घोषणा है जो कि एक स्वागतयोग्य कदम है. इसे वर्षा आधारित क्षेत्र जैसे कम जोखिम व उच्च लाभ वाले क्षेत्रों में लक्षित करने की जरूरत है. इसके पूरक के रूप में विभिन्न परिस्थितियों में इसकी क्षमता और प्रभावों से जुड़े साक्ष्यों पर कठोरता से ध्यान देने की भी आवश्यकता है.’
वहीं दूसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष में ‘श्री अन्न’ (बाजरा) को प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद पहले से थी. हालांकि सरकार को सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा करने के लिए भारतीय राज्यों के बीच एक-दूसरे से सीखने की दिशा में ध्यान देना चाहिए, खास तौर पर ओडिशा जैसे अग्रणी राज्यों से. वहीं तीसरा और अंत में, पीएम-प्रणाम और योजनाओं के वित्तपोषण को ‘इनपुट-आधारित’ की जगह पर ‘परिणाम-आधारित’ बनाने के प्रयोगों से किसानों को लाभ होगा. इससे किसानों के चयन को आर्थिक रूप से लाभकारी, पोषण से भरपूर और पारिस्थितिक रूप से लचीली फसलों और नए कृषि मेथड्स की तरफ मोड़ने के लिए प्रोत्साहन व जोखिम को नए आकार में ढालने की दिशा में एक रास्ता बना सकता है.’