संसद के बजट सत्र में आज पेश हुए इकोनॉमिक सर्वे में सरकार ने बताया कि दुनियाभर में चली आ रही अनिश्चितता से भारत बार-बार प्रभावित हुआ, जिसकी वजह से जरूरी सामानों की कीमतों में वृद्धि दिखाई दी. हालांकि, अब हालात बदल रहे हैं और वस्तुओं के मूल्य कम हो रहे हैं. महंगाई के बढ़ने से दुनिया के कई देशों में विकास और व्यापारिक गतिविधियों पर मंदी के बादल मंडराने लगे हैं. लेकिन भारत मजबूत मैक्रोइकोनॉमिक फंडामेंटल और बफर स्टॉक की मजबूती से इन मुश्किल हालातों का सामना करने में सक्षम रहा है.
सरकार ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में दिसंबर 2022 तक भारत ने निर्यात के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन किया. वहीं, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और ग्लोबल इकोनॉमी में स्लोडाउन का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर देखने को नहीं मिला. यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए टैक्स फ्री समझौतों के कारण आयात-निर्यात व्यवस्था अनुकूल तरीके से विकसित होगी.
फार्मा से इलेक्ट्रिक सामानों का एक्सपोर्ट बढ़ा
आर्थिक सर्वे में सरकार ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 में फार्मा, इलेक्ट्रिक और इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स, केमिकल सेक्टर्स के सामानों के निर्यात में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई. वित्त वर्ष 2023 के पहली छमाही में कमजोरी वैश्विक संकटों के बावजूद भारत ने निर्यात के क्षेत्र में अपनी विकास गति को बनाए रखा.
सप्लाई चैन बाधित होने के बाद निर्यात में वृद्धि हुई.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में रुपये से लेनदेन संभव
जुलाई में 2022 में भारतीय केंद्रीय बैंक (RBI) ने ग्लोबल ट्रेड के विकास को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रुपये में इनवॉइस, भुगतान और निर्यात-आयात के लिए व्यवस्था की अनुमति दी, जिससे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में भारतीय रुपये को वैश्विक व्यापारिक समुदाय में समर्थन मिल सके. इसके लिए भारत में अधिकृत डील बैंकों में रुपये से लेनदेन के लिए वोस्ट्रो अकाउंट्स खोले गए.
निर्यात के मामले में चीन को पछाड़ा
संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद यूएई और नीदरलैंड शीर्ष निर्यात डेस्टिनेशन रहे. भारत के निर्यात पार्टनर के तौर पर नीदलरैंड ने चीन को तीसरे स्थान से हटा दिया. वहीं, भारत ने वित्त वर्ष 22 में विश्व सेवा व्यापार अपना रुतबा कायम रखा. महामारी से प्रेरित वैश्विक प्रतिबंधों के बावजूद देश का सर्विस एक्सपोर्ट 254.5 बिलियिन अमेरिकी डॉलर रहा. इसमें वित्त वर्ष 21 की तुलना में 23.5 फीसदी की वृद्धि हुई.