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विवेकानंद बर्थडे:जब विवेकानंद मुस्लिम के घर ठहरे, ये पूछने पर हो गए नाराज

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विवेकानंद ने 1888 में भारत यात्रा करनी शुरू की. उन्होंने 03 साल तक पैदल चलते हुए पूरे भारत को देखा. वह कई जगहों पर गए. कहीं वह महाराजाओं के यहां ठहरे तो कहीं किसी गरीब के घर तो कभी किसी व्यापारी के यहां. माउंट आबू में जब वह एक मुस्लिम के यहां रुके. इस पर जब किसी ने आपत्ति की तो स्वामी विवेकानंद खासे नाराज हो गए
विवेकानंद 1891 की गर्मियों में माउंट आबू में पहुंचे. माउंट आबू राजस्थान में है. यह अरावली पहाड़ियों में स्थित एक हिल स्टेशन है. वह यहां नक्की झील के किनारे एक गुफा में रुके. नक्की झील माउंट आबू की लंबी चौड़ी मीठे पानी की झील है, जो राजस्थान की सबसे ऊंची झील भी है.
जब वह यहां रुके थे, तभी उनके पास एक मुस्लिम वकील पहुंचे. उन्होंने विवेकानंद से उनके घर चल कर रुकने का अनुरोध किया. वह तैयार हो गए. वह यहां कई दिन रुके. हालांकि उनका यहां रुकना चर्चा का विषय भी बन गया.
रामकृष्ण मिशन के अदवैत आश्रम से प्रकाशित विवेकानंद की सचित्र जीवनी में इसका उल्लेख किया गया है. इसमें उनके पैदल भारत भ्रमण के बारे में उल्लेख से बताया गया कि वह कहां कहां गए. ये यात्रा उन्होंने वाराणसी से शुरू की थी. इसमें वह तमाम लोगों से मिले. देश को करीब से देखा. उसकी समस्याओं और हाल से परिचित हुए.
माउंट आबू में जब वह मुस्लिम वकील के यहां रुके और प्रवास के कई दिन हो गए तो महाराजा खेत्री के निजी सचिव जगमोहनलाल उनसे मिलने आए. उन्हें बड़ी हैरानी थी कि स्वामी जी कई दिनों से एक मुस्लिम के यहां रुके हैं. वो हतप्रभ थे कि विवेकानंद कैसे उनके यहां खाना खा रहे हैं. उनसे रहा नहीं गया तो उन्होंने सवाल पूछ ही लिया.
उन्होंने पूछा, स्वामी जी आप तो हिंदू संन्यासी हैं. आपके लिए ये कितना उचित है कि आप एक मुस्लिम के यहां रह रहे हैं और आपको खाना भी उनका छुआ होता है. आप कैसे उन्हें खा रहे हैं. इस सवाल पर विवेकानंद नाराज हो गए.

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