बढ़ती महंगाई के चलते जहां आम जनता बेहद परेशान है वहीं महंगाई के मोर्चे पर ग्राहकों के लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को लगभग सभी खाद्य तेल-तिलहनों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली. वहीं ‘शॉर्ट सप्लाई’ के कारण सोयाबीन डीगम तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे. बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में 1.75 प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज कल रात 2.25 प्रतिशत टूटा था और फिलहाल इसमें आधा प्रतिशत का सुधार है.
सूत्रों ने कहा कि मौजूदा स्थिति तेल उद्योग के लिए काफी खराब है. आयातकों के बाद अब छोटी तेल मिलों की हालत खराब हो रही है. इनके पास किसान नीचे भाव में अपना माल ला ही नहीं रहे. हालांकि, मौजूदा बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है पर किसानों को इससे पहले कहीं बेहतर कीमत मिलने के बाद वे उससे कम कीमत पर बेचने से कोताही कर रहे हैं
किसानों की बढ़ रही चिंता
दूसरी ओर कोटा प्रणाली के तहत शुल्कमुक्त आयातित तेलों की कम कीमतों ने देशी तेल-तिलहनों पर इस कदर दबाव बना रखा है कि किसानों को सोयाबीन के बाद आगामी सरसों फसल खपाने की चिंता बढ़ती जा रही है. सबसे चिंताजनक बात तो यह है कि तेल उद्योग की इस बुरी हालत के बारे में न तो कोई तेल संगठन न ही मीडिया- कोई खोज खबर ले रहा है.
सूत्रों ने कहा कि ये सारे हालात देश को आत्मनिर्भरता हासिल करने के बजाय आयात पर पूर्ण निर्भर होने की ओर ले जाते दिख रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि खबर है कि इंडोनेशिया ने अपने तेल उद्योग को चलाने के लिए कच्चे पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के निर्यात शुल्क एवं लेवी के अंतर को पहले के 60 डॉलर से बढ़ाकर 68 डॉलर कर दिया है. यह बढ़ा हुआ शुल्क अंतर 16 जनवरी से लागू होगा. लेकिन देश के तेल-तिलहन उद्योग की खोज खबर नहीं ली जा रही है. इन तेल उद्योगों में भी बैंकों का पैसा लगा हुआ है जिसके डूबने का खतरा है.