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सीमा पर घुसपैठ रोकने के लिए सेना ने उठाया बड़ा कदम, आतंकियों की हर गतिविधि पर रहेगी नजर

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सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस बार सर्दियों में घुसपैठ को रोकने के लिए खास सर्विलांस डिवाइस लगाए हैं. इंटरनेट कॉलिंग और 5G ऑपरेटिंग सिस्टम से निपटने के लिए ऐसी तकनीक विकसित की जा रही है, जिससे 5G कम्युनिकेशन को भी इंटरसेप्ट किया जा सके. इस बार घुसपैठ में तालिबानी और विदेशी आतंकियों की बहुलता का ट्रेंड भी सामने आया है. जिससे ऐसी सर्विलांस डिवाइस की जरूरत और ज्यादा बढ़ गई है.

एक तरफ जहां भारत सीसीटीवी और मोशन डिटेक्शन डिवाइस लगाकर तकनीक से आतंकवाद को रोकने की कोशिश कर रहा है. वहीं आतंकी भी 5जी जैसी उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर संवाद करने की फिराक में है. घुसपैठ नेटवर्क और आतंकी कार्रवाइयों के लिए अब सेटेलाइट फोन या इंटरनेशनल कॉलिंग नहीं ,बल्कि इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है.

एक्टिव आतंकवादियों की संख्या 100 के करीब पहुंची
खुफिया एजेंसी सूत्रों के मुताबिक 5G तकनीक के जरिए ड्रोन से लेकर कम्युनिकेशन तक आतंकियों के हाथ एक नया हथियार लगा है, लेकिन उसके खिलाफ कारगर काउंटर ट्रेकिंग के लिए भारत-पाकिस्तान सीमा पर खास डिवाइस तैनात किया गया है. कश्मीर में जहां आतंकवादियों की संख्या हमेशा 200 से ऊपर बनी रहती थी. वहीं अब एक्टिव आतंकवादी 100 के करीब पहुंच गए हैं. सेना और अर्धसैनिक बल लगातार कार्रवाई कर रहे हैं.

मॉडर्न कम्युनिकेशन डिवाइस को सेना में शामिल करने की योजना
सुरक्षा एजेंसियां जल्द ही 2000 के करीब मॉडर्न कम्युनिकेशन डिवाइस को फोर्स में शामिल करने की योजना पर काम रही है, जिन कम्युनिकेशन डिवाइस को शामिल करने का फैसला किया गया है. उनमें 1374 के करीब VHF Mobile Trans Receiver (मोबाईल ट्रांस रिसीवर), सैकड़ों की संख्या में डिजिटल एचएफ मोबाइल सेट (Digital HF Mobile Set) और सैटेलाईट पर्सनल ट्रैकर (Satellite Personal Tracker ) हैं.

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