Home स्वास्थ्य प्राचीन समय मे आहार से पहले आचमन करने का प्रचलन था।

प्राचीन समय मे आहार से पहले आचमन करने का प्रचलन था।

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भारतीय खानपान और जीवन शैली में कई बातें ऐसी हैं , जिन्हें शायद ही हम कभी विचार करते हैं, प्राचीन समय मे आहार से पहले आचमन करने का प्रचलन था, आचमन करने से गले की खुश्की ओर कफ दूर होता है, पेट की जठराग्नि तेज़ होती है, यह छोटी सी क्रिया हमको निरोग रखने में सहायक होती है। भोजन करने के 1 घण्टे पूर्व से हमे पानी नहीं पीना चाहिये, नहीं तो यह हमारी जठराग्नि को शांत कर देती है, जिससे भोजन पचाने में असुविधा होती है। भोजन छोटे -छोटे टुकड़ो में चबा-चबा कर खाने की आदत डालें, यह हमारी पाचन क्रिया में सहायक है। समय की कमी के अभाव में आजकल लोग जल्दी-जल्दी ओर खड़े होकर भोजन करते हैं। यह हमारी सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक है। इससे अपचन, गैस व पेट से सम्बंधित कई बीमारियां उत्पन्न होती हैं, सुबह भोजन राजा के समान दोपहर को प्रजा और शाम को भिखारी के समान करना चाहिए, अर्थात सुबह Rich diet, दोपहर को सामान्य आहार और रात को हल्का भोजन लेना चाहिए। दिन में 3 बार आहार लेना पर्याप्त है, ज्यादा है, तो शाम को फल या जूस ले सकते हैं, जीवा में दूध का समावेश जरूर करें। सुबह और रात मे दूध और दोपहर में दही या मठे का सेवन करें। कफ वाले मरीजों को दही का सेवन नहीं करना चाहिए, रात को भोजन करने के आधा घंटे बाद दूध का सेवन कर सकते हैं। जिन्हें कफ बनता वे दूध में हल्दी डालकर पियें। चाय का प्रयोग कम से कम करना हितकर होता है, अपने दैनिक जीवन मे प्राणायाम ओर योग को स्थान दें, फिर देखें जीवन और स्वास्थ्य कैसे आपका साथ निभाता है।

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