Home क्षेत्रीय खबरें / अन्य खबरें दिव्यांगजनों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए होगी नीति।

दिव्यांगजनों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए होगी नीति।

418
0

रायपुर, राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष सुनिल कुमार ने कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार के लिए युवा नीति बनाने के बाद आयोग द्वारा उसी तर्ज पर अब सभी संबंधित पक्षों की भागीदारी से दिव्यांगजनों के लिए भी नीति जल्द तैयार की जाएगी। श्री कुमार योजना भवन में आयोग द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन को सम्बोधित कर रहे थे, उन्होंने कहा कि यह नीति दिव्यांगजनों के आत्म सम्मान को ध्यान में रखकर उन्हें सामाजिक-आर्थिक विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए होगी। सत्र की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि योजना आयोग हमेशा ही नीतियों के निर्माण में सभी पक्षों की सहभागिता पर विश्वास करता है। दिव्यांगजनों के लिए तैयार की जा रही नीति में उन्हें विधिसम्मत सहयोग देने के लिए युवा स्वयं सेवक तैयार करने का भी प्रावधान किया जाएगा। श्री कुमार ने राज्य सरकार के कृषि बजट और युवा बजट की तर्ज पर दिव्यांगजनों के लिए अलग से बजट की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन नीति के क्रियान्वयन में समाज कल्याण विभाग की भूमिका एक सजग प्रहरी के रूप में काफी महत्वपूर्ण होगी। सभी स्टेक होल्डर्स की भागीदारी से यह नीति बनेगी। सोशल मीडिया की भी मदद ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि राज्य योजना आयोग द्वारा समाज कल्याण विभाग के सहयोग से दिव्यांगजनों के लिए नीति तैयार की जा रही है। इसके लिए सभी संबंधित स्टेकहोल्डरों से सुझाव प्राप्त करने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के प्रथम दिवस पर दिव्यांगजनों की शिक्षा व्यवस्था पर और आज समापन सत्र में उनके कौशल विकास तथा रोजगार सृजन की जरूरतों पर चर्चा की गई। कार्यशाला में सभी विभागों की नीतियों में दिव्यांगजनों के अधिकारों को शामिल करने, दिव्यांगता की 21 नवीन श्रेणियों के अनुसार उनकी पहचान सुनिश्चित करने और उन्हें उनकी जरूरतों के अनुसार सुविधाएं देने पर बल दिया गया। दिव्यांगजनों की पहचान, उनके पंजीकरण और उनके लिए आवश्यक सहायक उपकरणों के बारे में भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि प्रत्येक दिव्यांगता श्रेणी के लिए विशेष प्रशिक्षक होने चाहिए। दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए वन स्टाप सेंटर जैसी व्यवस्था को भी प्रस्तावित नीति में शामिल करना चाहिए। कार्यशाला के समापन सत्र में राज्य योजना आयोग के सदस्य पी.सी. सोती, समाज कल्याण विभाग के सचिव आर.प्रसन्ना, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव पी.सी. मिश्रा, समाज कल्याण विभाग के संचालक डॉ. संजय अलंग ने भी अपने विचार व्यक्त किए। नेत्रहीनों के संगठन-नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के डॉक्टर राकेश कामरान, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायपुर के डॉ. आलोक अग्रवाल, मनोचिकित्सक डॉ. लोकेश सिंह और डॉ. सिमी श्रीवास्तव ने भी कई सुझाव दिए। उनके अलावा राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), छत्तीसगढ़ कौशल विकास प्राधिकरण, आजीविका (लाईवलीहुड) कॉलेज, महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास और उद्योग विभाग के अधिकारियों सहित सभी प्रमुख शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि कार्यशाला में शामिल हुए। उनके साथ ही समाज सेवी संस्थाओं में से कोपलवाणी, सेवानिकेतन, सामर्थ्य, अंकुर, स्नेह सम्पदा, डे-केयर, प्रयास आदि के प्रतिनिधि तथा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रतिनिधि भी कार्यशाला में उपस्थित थे। सभी लोगों ने दिव्यांगजन नीति निर्धारण के लिए अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन योजना आयोग के सदस्य पी.सी. सोती ने किया, कुछ दिव्यांगजनों ने भी कार्यशाला में अपने विचार प्रकट किए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here