भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज रिटेल डिजिटल रुपया (Digital Rupee– e₹-R) लॉन्च किया है. शुरुआत में चार बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से इसकी खरीद की जा सकेगी. जहां आम लोगों को इससे फायदा होने की बात कही जा रही है वहीं इस डिजिटल करेंसी से भारत के व्यापारियों को कितना लाभ होगा, ये बड़ा सवाल है.
इस बारे में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से कहा गया कि खुदरा स्तर पर डिजिटल मुद्रा शुरू करने का भारतीय रिजर्व बैंक का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है और कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) जल्द ही व्यापार में भुगतान के तरीके के रूप में डिजिटल रुपये को अपनाने और स्वीकार करने के लिए देश भर के व्यापारिक समुदाय के बीच एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर से बढ़ावा देगा. भारतीय अर्थव्यवस्था उपभोग आधारित है. खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता अर्थव्यवस्था में राजा हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है लेकिन खुदरा स्तर पर नकद मुद्रा के उपयोग के कारण व्यापार में कैश करेंसी का एक बड़ा हिस्सा है जो बेहिसाब रह जाता है. डिजिटल मुद्रा की शुरुआत के साथ, प्रत्येक लेनदेन भारतीय रिजर्व बैंक की पुस्तकों और भारत सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा. हम दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे. हमारे देश में खुदरा बाजार का सटीक आकार रिकॉर्ड किए गए लेन-देन से प्रमाणित होगा.
दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि डिजिटल करेंसी डिजिटल इंडिया की स्वीकार्यता के प्रसार में मदद करेगी. खुदरा कारोबार की वास्तविक गणना प्राप्त करने से, भारतीय रिजर्व बैंक और साथ ही भारत सरकार व्यापारी और उपभोक्ता अनुकूल नीतियां बनाने की स्थिति में होगी.
भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने कहा कि प्रमाणित बिक्री कारोबार डेटा के अभाव में खुदरा व्यापारी बैंकों से ऋण प्राप्त करने में असमर्थ हैं. डिजिटल मुद्रा की शुरूआत के साथ खुदरा विक्रेता के वास्तविक कारोबार को बैंकों से बेहतर ऋण प्राप्त करने के लिए डिजिटल लेनदेन द्वारा प्रमाणित किया जाएगा.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को मुद्रा की छपाई और वितरण में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं. डिजिटल करेंसी से भारतीय रिजर्व बैंक को भारी बचत होगी. डिजिटल करेंसी इको फ्रेंडली भी है. कागजी मुद्रा की छपाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज की बचत होगी. कागज के लिए पेड़ों की कटाई कम होगी. रासायनिक रंगों के कम प्रयोग से पर्यावरण संरक्षण होगा. डिजिटल करेंसी से सॉफ्टवेयर उद्योग विकसित करने में मदद मिलेगी. इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा. जल्द ही हम डिजिटल इंडिया को व्यावहारिक रूप से लागू और स्वीकार करते हुए देखेंगे.
ऐसा होने से आईटी उत्पादों, सॉफ्टवेयर और डिजिटल उद्योग से जुड़े अन्य उत्पादों की बहुत मांग होगी. भारत दुनिया का सबसे युवा देश बनने जा रहा है. देश का युवा तकनीक के साथ चलता है. सरकार भारत के लोगों को डिजिटल तकनीक की ओर ले जा रही है। डिजिटल उत्पादों के लिए विशाल बाजार निकट है. भारत नवीन विचारों वाले युवाओं का देश है. हम बाजारों में आने वाले स्टार्ट अप में अत्यधिक वृद्धि देखेंगे. जिसके फल स्वरुप रोजगार चाहने वाले अब रोजगार देने वाले बनेंगे.