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BSF ने तैयार किया खास लैब, सीमा पार से आने वाले ड्रोन पर रखी जाएगी नजर, जानें कैसे करेगा काम

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भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन घुसपैठ के मामले दोगुने होने के बाद देश में पहली बार ऐसे खास लैब को गृह मंत्रालय और विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा विकसित किया गया है. इस लैब में दो तरीके से घुसपैठी ड्रोन के बारे में तफ्तीश की जाएगी. पहला जिन्हे सीमा पर देखा जाता है और दूसरा जो मार गिराए जाते हैं. बीएसएफ की खास लैब, जिसे सुरक्षाबलों ने पिछले कुछ महीनों में विकसित किया है. वो भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहे ड्रोन पर नजर रखेंगे.

ड्रोन यूएवी साइबर फोरेंसिक लैब को विकसित करनेवाली एजेंसियों का मानना है कि मौजूदा ड्रोन खतरा, जो भारत पर मंडरा रहा है, उससे निपटने में ये लैब बहुत ही कारगर साबित होगी. इस लैब में ऐसी खास तकनीक होगी, जिससे ड्रोन में लगे जीपीएस के बारे में पता लगाया जा सकेगा. ड्रोन में मौजूद जीपीएस की मदद से सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां पता लगा सकती हैं कि गिराया गया ड्रोन कहां से भेजा गया है और कहां गया है.

इसके अलावा इस लैब में मौजूद खास तकनीक से दुश्मन द्वारा भेजे गए ड्रोन की लोकेशन आएगी और ड्यूरेशन आएगी कि कितनी देर तक ये हवा में था. जब्त किए गए ड्रोन के हार्डवेयर से पाकिस्तानी डेटा को भी इस लैब में हैक किया जा सकेगा. बीएसएफ के डीजी पंकज सिंह ने बताया कि गृह मंत्रालय के सहयोग से ऐसी लैब को मौजूदा वक्त की जरूरत और खतरे के देखते हुए तैयार किया गया है. पाकिस्तान भारत में नशे की खेप और हथियारों की तस्करी के लिए नेविगेट टू होम ड्रोन इस्तेमाल कर रहा है.

पाकिस्तान की बौखलाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल ड्रोन गिराए जाने के मामले और ड्रोन देखे जाने के मामले भारत-पाकिस्तान सीमा पर दोगुने से भी ज्यादा हो गए हैं. पिछले साल यानी 2021 में 109 बार ड्रोन भारतीय सीमा पर मंडराते देखे गए थे. जबकि इस साल अभी तक ही यह तादाद 224 को पार कर चुकी है. अब इस लैब के संचालन से ये भी पता लग पाएगा कि ड्रोन को आपरेट वाला सिस्टम कौन से देश का है, हार्डवेयर कहां का है.

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