अब तक माना जाता है कि भारत के शेयर बाजारों में तेजी तभी देखने को मिलती है, जब विदेशी निवेशकों की बड़ी पूंजी लगी हो. परंतु यदि आज की बात करें तो सेंसेक्स लगभग 62 हजार को छू रहा है और निफ्टी50 भी अपने ऑल टाइम हाई को लांघने को तैयार है. यह तब है, जबकि इस समय विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPIs) का निवेश पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है.
फिलहाल भारतीय शेयर बाजार की तेजी घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) के हौसले पर सवार है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल DIIs की हिस्सेदारी 14.79 फीसदी है, जोकि अब तक की सबसे ज्यादा है. यह आंकड़े 30 सितंबर तक के हैं. पिछली तिमाही (30 जून) तक DIIs की हिस्सेदारी 14.06 प्रतिशत थी.
सितंबर में खूब चढ़े हैं शेयर बाजार
FPI और DII होल्डिंग के बीच का अंतर इस तिमाही में अपने निम्नतम स्तर तक कम हो गया. डीआईआई होल्डिंग अब एफपीआई होल्डिंग से सिर्फ 22.3% कम है. FPI से DII का ऑनरशिप रेट भी 30 सितंबर 2022 तक 1.29 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया, जो पिछली तिमाही में 1.37 था. सितंबर तिमाही के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी क्रमश: 8.31% और 8.33% चढ़े.
13 वर्ष की अवधि में तुलना
13 साल की अवधि में (जून 2009 से), FPI का हिस्सा 16.02% से बढ़कर 19.03% हो गया है, जबकि DII का हिस्सा 11.38% से बढ़कर 14.79% हो गया है. एनएसई पर लिस्टेड कंपनियों में FPIs की हिस्सेदारी 30 सितंबर को 50.52 ट्रिलियन रुपये थी, जो 30 जून को 45.62 ट्रिलियन रुपये से 10.73% अधिक है. FPIs ने इस तिमाही में इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, तेल और गैस, और कंज्यूमेबल सेक्टर्स से 21,878 करोड़ रुपये निकाले. जबकि वित्तीय सेवाओं और स्वास्थ्य सेवा (financial services and healthcare) में 22,689 करोड़ रुपये का निवेश किया.