इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम पर काफी काम किया जा चुका है और भारत के लिए इस दशक को ‘प्रौद्योगिकी-दशक’ बनाने के लक्ष्य को समर्थन देने के लिए मसौदा विधायी रूपरेखा 2023 की शुरुआत में आने की उम्मीद है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि गहन विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण कानून बनाए जाएंगे जो ‘नए भारत’ और इसकी डिजिटल वास्तुकला के लिए आवश्यक होंगे.
चंद्रशेखर ने आईटी अधिनियम का स्थान लेने वाले डिजिटल इंडिया अधिनियम की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘इस पर काफी काम हुआ है और हमें उम्मीद है कि वर्ष 2023 की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के ‘टेकेड’ के लिए एक विधायी रूपरेखा देश के समक्ष पेश की जाएगी.’’
‘विस्तार से विचार-विमर्श करना चाहती है सरकार’
चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार अहम कानूनों पर विस्तार से विचार-विमर्श करना चाहती है. उन्होंने कहा, ‘‘नए भारत के लिए सभी कानून आधुनिक होने चाहिए और उपभोक्ता, उद्योग, स्टार्टअप, वकीलों, न्यायाधीशों, नागरिकों…सभी से इन पर गहन विचार विमर्श होना चाहिए, उनकी बात इनमें आनी चाहिए. हम ठीक यही करेंगे.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हम काल्पनिक समयसीमा पर काम नहीं कर रहे.’’
उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया कानून आईटी कानून 2000 का स्थान लेगा क्योंकि यह दो दशक से अधिक पुराना हो चुका है. उन्होंने कहा कि इंटरनेट से संबंधित कानून, नियम और न्याय-विधान बदलते रहेंगे.
वर्तमान में भारतीय सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफार्म और ई कॉमर्स को नियंत्रित करती है. लेकिन तकनीकी में लगातार बदलाव हो रहे है जैसे मेटावर्स और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी आदि जो उस समय नहीं थी जिनके लिए भी नियम होना जरूरी है जिसपर भारत सरकार का ध्यान अब जा चुका है और जल्द आप डिजिटल इंडिया अधिनियम भारत में देखेंगे.
क्या है DIGITAL INDIA ACT?
दरअसल इस अधिनियम के तहत वर्तमान में इंटरनेट की दुनिया में सक्रिय विभिन्न सोशल प्लेटफार्म को भारतीय कानून के अंतर्गत लाना सरकार का उद्देश्य है. इनमें फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, सिग्नल. ओटीटी प्लेटफार्म-एमेजॉन प्राइम वीडियो, डिज्नी प्लस होटस्टार शामिल हैं. इन प्लेटफार्म पर प्रसारित कंटेंट पर निगरानी, नियम और उल्लंघन करने सख्त सजा का प्रावधान होगा.