कोरोना महामारी के आने के बाद से भारत में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ गए हैं. न केवल उम्रदराज लोग बल्कि खासतौर पर युवा इस बीमारी के आसान शिकार बन रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जब बिना किसी पूर्व लक्षण के अचानक दिल का दौरा पड़ा और व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई. भारतीय लोगों को हार्ट अटैक होने के पीछे की वजह जानने के लिए हाल ही में दिल्ली के गंगाराम अस्पताल के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन किया है. जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.
सर गंगाराम अस्पताल के कार्डियोलॉजी और रेडियोलॉजी विभाग के द्वारा हाल ही में 250 मरीजों पर रिसर्च स्टडी की गई जो जर्नल ऑफ इंडियन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुई है. इसमें बताया गया है कि आमतौर पर भारतीयों में हार्ट अटैक को लेकर अनुमान लगाया जाता है कि छोटे डायमीटर वाली आर्टरीज होने के चलते भारतीयों में हार्ट अटैक होता है लेकिन हाल ही में हुई स्टडी में कहा गया है कि आर्टरी का डायमीटर नहीं बल्कि छोटा बॉडी सर्फेस होना हार्ट अटैक की प्रमुख वजह है.
कार्डियोलॉजी विभाग के चेयरपर्सन और लेखक डॉ. जेपीएस साहनी के अनुसार, इस सर्वे शामिल मरीजों में से 51 फीसदी मरीज हाईपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप से ग्रस्त थे, 18 फीसदी में डायबिटीज पाई गई, 4 फीसदी धम्रपान या स्मोकिंग करते थे, 28 फीसदी मरीज डिस्लिपिडेमिक थे और 26 फीसदी मरीज ऐसे थे जिनके परिवार में हार्ट की बीमारी का इतिहास रहा है.
वहीं कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट और लेखक डॉ. अश्विनी मेहता ने बताया कि अध्ययन बताता है कि भारतीय और खासतौर पर एशियाई लोगों को लेकर ये अनुमान लगाया जाता है कि आर्टरी में फैट जमा होने के खतरे के पीछे कोरोनरी आर्टरी का डायमीटर छोटा होने को बड़ी वजह बताया जाता है जबकि स्टडी के मुताबिक यह साबित हो चुका है कि भारतीय लोगों को कोरोनरी आर्टरी डासमेंशन छोटा नहीं है बल्कि बॉडी सर्फेस एरिया छोटा है. वहीं डॉ. भुवनेश कांडपाल बताते हैं कि यह अध्ययन भारतीय जनसंख्या में कोरोनरी आर्टरी के साइज का अनुमान लगाने के लिए की गई थी ताकि ये पता चल सके कि भारतीय लोगों की आर्टरी का डामेंशन बाकी अन्य लोगों के डायमेंशन से कितना अलग है.