पिछले साल सर्दियों में कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता चलने के बाद से कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई अब प्लान पूरी तरह से बदल गई है. हालांकि यह वेरिएंट कोविड के पुराने वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा परेशानी नहीं खड़ी करता, लेकिन इसे लेकर चिंता की बात यह है कि ये बेहद तेजी से फैलते हैं और प्रतिरक्षा से बचने के गुण रखते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में बताया है कि वर्तमान में ओमिक्रॉन वेरिएंट के 300 से ज्यादा सब वेरिएंट दुनिया भर में फैले हैं. इनमें से 95% BA.5 सबलीनिएज, जबकि उनमें से 20% BQ.1 सबलीनिएज हैं.
ओमिक्रॉन के आने के बाद से कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े लक्षण भी बदल गए हैं. इसलिए सवाल यह है कि इतने सारे वेरिएंट की मौजूदगी के बीच यह कैसे पहचाना जाए कि किसी शख्स में कोविड के लक्षण दिख रहे हैं.
ओमिक्रॉन के सामान्य लक्षण क्या हैं?
स्वाद और गंध की समझ कम हो जाना जैसे ‘क्लासिक’ लक्षण अब कोरोनो संक्रमण के संकेतक नहीं रहे हैं. ओमिक्रॉन के साथ इसके लक्षण भी बदल गए हैं और संक्रमण के ‘सामान्य’ लक्षण अब खांसी हैं, जो एक पुरानी खांसी या ब्रोंकाइटिस हो जाती है. इसके अलावा थकान भी एक लक्षण, जो इतनी तेज होती है कि संक्रमित व्यक्ति अपने रोजमर्रा के काम भी नहीं कर पाता. सिरदर्द, बुखार, बहती नाक, गले में खराश; जो अक्सर दर्दनाक हो जाता है और भोजन निगलने में मुश्किल बना देता है तथा मांसपेशियों में दर्द इसके मुख्य लक्षण हैं.
भारत में Omicron के नए वेरिएंट क्या हैं?
कई भारतीय राज्य ओमिक्रॉन, XXB और BQ.1 के नए रूपों की रिपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने कोरोनोवायरस संक्रमण और अस्पताल में भर्ती होने में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी है.
भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) ने एक बयान में कहा कि वह XBB और XBB.1 और किसी भी नए सबलीनिएज के उद्भव और विकास पर कड़ी नजर रख रहा है.
नए ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण क्या हैं?
मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता मैथ्यू ने कहा कि नये स्वरूप के मरीजों में काफी हद तक लक्षण नज़र नहीं आये हैं. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने बताया कि ‘कई लोग आकस्मिक कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं. दूसरे शब्दों में, वह अन्य स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों के लिए अस्पताल गए और कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गए.’
कोविड-19 के शुरुआती दौर में संक्रमित हुए मरीजों में सूंघने की शक्ति में कमी, स्वाद न आना जैसे लक्षण प्रमुखता से देखे गए थे, लेकिन अभी के रोगियों में इस तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं. बहुत सारे मरीज सर्दी और खांसी से प्रभावित हैं, इसलिए वह लोग घर पर इलाज करते हैं और जांच के लिए नहीं जाते हैं.