सँगवारी मुंबई और परसाई मंच के संयुक्त तत्वावधान में आदरणीय Alka Agrawal Sigtia जी के घर पर एक अभूतपूर्व शाम गुजरी, कुछ जुनून के चलते बने शायर जैसे जनाब इरशाद सिकंदर, राशिद भाई ,शमीम अबबासी, तिवारी जी, चतुर्वेदी जी सहित लेखिका और कवि अलका जी सहित फ़िल्म जगत में रचनात्मक मुक़ाम पाए हुए सितारों ने अपनी अपनी रचनाओं से माहौल में रूहानियत बिखेर दी।
इरशाद भाई ने सुनाया कि बहुत देर तक ख़ामोश रहा, उस बेज़ुबान की चीखे सुनकर ।
खुदा की मेहेर होती है अगर मेहमान आते है ,
बढ़ाने वो हमारी महफ़िलो की शाम आते है,
अलका जी ने अपनी विचरोत्तक कविता जो किसी महिला या युवती की आत्मव्यथा होती है के बारीक और पुरुष की अपनी मानसिकता दर्शाती हुई कविता सुनाई