भारत का चीनी निर्यात सितंबर में समाप्त विपणन वर्ष 2021-22 के दौरान 57 प्रतिशत बढ़कर 109.8 लाख टन हो गया. चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से सितंबर तक चलता है. निर्यात बढ़ने से देश में लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा का प्रवाह हुआ है. खाद्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी. किसानों का गन्ना बकाया विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर सितंबर) के अंत में केवल 6,000 करोड़ रुपये था. चीनी मिलें 1.18 लाख करोड़ रुपये की कुल देय राशि में से किसानों को पहले ही 1.12 लाख करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी हैं.
खाद्य मंत्रालय ने कहा, ”भारत दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरा है. देश चीनी का उपभोक्ता होने के साथ साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक भी है.” देश में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान, रिकॉर्ड 5000 लाख टन से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ. इसमें से लगभग 3,574 लाख टन चीनी मिलों द्वारा गन्ने की पेराई कर लगभग 394 लाख टन चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया गया.
इसमें से एथनॉल तैयार करने के लिए 35 लाख टन चीनी का इस्तेमाल किया गया और चीनी मिलों द्वारा 359 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया. मंत्रालय ने बयान में कहा, ”यह सत्र भारतीय चीनी उद्योग के लिए कई मायनों में ऐतिहासिक साबित हुआ है. गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ना खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और एथनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड इसी सीजन के दौरान बनाए गए.”
इस दौरान भारत ने सरकार से बिना किसी वित्तीय सहायता के लगभग 109.8 लाख टन का उच्चतम निर्यात भी हासिल किया. भारत का चीनी निर्यात विपणन वर्ष 2020 21 में 70 लाख टन, 2019 20 में 59 लाख टन और 2018 19 में 38 लाख टन रहा था.
मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में समय पर सरकारी हस्तक्षेप ने इस क्षेत्र को वित्तीय संकट से बाहर निकाला है. मंत्रालय ने कहा, ”सहायक अंतरराष्ट्रीय कीमतों और भारत सरकार की नीति ने भारतीय चीनी उद्योग की इस उपलब्धि को उत्पन्न किया. इन निर्यातों से देश में लगभग 40,000 करोड़ रुपये विदेशी मुद्रा हासिल हुई.”
मंत्रालय का अनुमान है,”नए सीजन में चीनी को एथनॉल में बदलने की उम्मीद 35 लाख टन से बढ़कर 50 लाख टन हो जाएगी, जिससे चीनी मिलों को लगभग 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा.”