म्यांमार (Myanmar) के फर्जी जॉब गिरोह (Fake Job Gang) के चंगुल में फंसे 45 युवा भारतीयों को मुक्त कराया गया है. विदेश मंत्रालय ने बुधवार को दिल्ली में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारत सरकार लगातार म्यांमार सरकार से संपर्क में थी. विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि पहले 32 और फिर 13 भारतीयों को मुक्त कराते हुए स्वदेश ले आएं हैं. इस कोशिश में म्यांमार और थाईलैंड स्थित भारतीय दूतावासों ने अहम भूमिका निभाई है. हालांकि अभी भी कुछ भारतीय नागरिक म्यांमार में ही हैं, उनकी भी जल्द वापसी कराने के लिए कानूनी औपचारिकताएं चल रही हैं. ये अभी म्यांमार के अधिकारियों की हिरासत में हैं.
प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि लाओस, कंबोडिया, वियनतियाने, नोम पेन्ह और बैंकॉक में भी भारतीय दूतावास वहां के फर्जी जॉब गिरोह में फंसे भारतीयों को मुक्त कराने और उन्हें सुरक्षित भारत वापस लाने में मदद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि फर्जी जॉब रैकेट में शामिल एजेंटों का विवरण निकाला गया है. इसे देश की विभिन्न राज्य सरकारों को भेजा गया है. इन एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कहा गया है. फर्जी जॉब गिरोह के झांसे में आने से बचने के लिए विदेशों में रोजगार के सभी प्रस्तावों को क्रॉस चेक करना चाहिए. बागची ने कहा कि विदेशों में नौकरियों को लेकर सावधानी और सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है.
क्रिप्टो करंसी, कॉल सेंटर में शानदार नौकरियों का दिया था लालच
फर्जी जॉब गिरोहों ने म्यांमार सहित अन्य देशों में क्रिप्टो करंसी, कॉल सेंटर में शानदार नौकरियों का लालच दिया था. इससे पहले कुछ फर्मों ने ‘डिजिटल सेल्स एंड मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव’ के पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किए थे. ये विज्ञापन लुभावने थे और इनमें आकर्षक पैकेज देने की बात कही गई थी. प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय युवाओं को लुभाने के लिए बैंकॉक और म्यांमार में आकर्षक नौकरी की पेशकश की जाती है. इन फर्जी गिरोहों के कई मामले सामने आ रहे हैं. दुबई और भारत स्थित एजेंटों ने थाईलैंड में डेटा एंट्री के लिए नौकरियों के बहाने से युवाओं के साथ धोखाधड़ी की थी. ऐसे विज्ञापन सोशल मीडिया पर भी होते हैं.