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चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं, व्यापारी 20% शुल्क चुकाने के बाद कर सकते हैं निर्यात

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वाणिज्य मंत्रालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि चावल के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है और व्यापारी 20 प्रतिशत शुल्क चुकाने के बाद इसका निर्यात कर सकते हैं. सरकार ने आठ सितंबर को ‘टूटे चावल’ के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक व्यापार नोटिस में कहा कि उस चावल (पांच प्रतिशत और 25 प्रतिशत टूटा हुआ) के संबंध में अभ्यावेदन प्राप्त हुए हैं जिनके लिए 8 सितंबर से पहले अपरिवर्तनीय साख पत्र जारी किया गया है और इसे बंदरगाहों पर रोका जा रहा है.

नोटिस के अनुसार, सामान्य चावल के संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि चावल (पांच प्रतिशत और 25 प्रतिशत) को पहले से ही छूट दी गई है क्योंकि यह टूटे हुए चावल नहीं बल्कि मानक के अनुसार टूटे चावल की अनुमति योग्य सीमा के साथ सामान्य चावल है. हालांकि, इसपर 20 प्रतिशत शुल्क लगेगा.

इन देशों में होता है निर्यात
टूटे हुए चावल मुख्य रूप से चीन, इंडोनेशिया, वियतनाम और जिबूती को निर्यात किए जाते हैं. फसल का उपयोग घरेलू कुक्कुट के लिए किया जाता है. इसके अलावा, इथेनॉल उत्पादन में भी टूटे चावल का उपयोग किया जाता है. केंद्र सरकार का मुख्य लक्ष्य 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) के साथ पेट्रोल की आपूर्ति करना है. भारत ने इस साल जून में निर्धारित समय सीमा से पांच महीने पहले 10 प्रतिशत इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति करने का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया था.

इन राज्यों में होता है चावल का उत्पादन
चावल के उत्पादन में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों में मानसून वर्षा की कमी से कुछ प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जो देश का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. हालांकि, खाद्य मंत्रालय ने आश्वासन दिया कि फसल के अधिशेष स्टॉक के कारण वृद्धि की घरेलू कीमत नियंत्रण में है.

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